परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 159 बड़े बाबा दीवाने ।तुम्हें न कौन जाने ।।जहाने ! छोटे बाबा ।लगा उस तट दो नावा ।। स्थापना ।। नीर भर लाये गगरी ।भाये सिद्धों की नगरी ।।सभी के […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 159 बड़े बाबा दीवाने ।तुम्हें न कौन जाने ।।जहाने ! छोटे बाबा ।लगा उस तट दो नावा ।। स्थापना ।। नीर भर लाये गगरी ।भाये सिद्धों की नगरी ।।सभी के […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 158 हैं मासूमों की जान ।है मामूली न ज्ञान ।।इक शाने-हिंदुस्तान ।प्रति-कृति गुरु ज्ञान महान ।।स्थापना ।। हथकरघा इनकी देन ।पैगामे-अमनो चैन ।। इक शाने-हिंदुस्तान ।प्रति-कृति गुरु ज्ञान महान […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन `क्रंमाक – 157 रग रग ऐसे बसी निराकुलता ।नमक नीर में जैसे घुल मिलता ।।वे गुरु ज्ञान सिन्धु नयनन-तारे ।तर टोटे, कर दें वारे न्यारे ।। स्थापना ।। जान हेत संक्लेशों का, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 156 सत् शिव सुन्दर ।ज्ञान समुन्दर ।।सद् गुण आकर ।विद्यासागर ।। स्थापना।। भर जल लाया ।चरण चढ़ाया ।।ओ ! सम दर्पण ।दो सम-दर्शन ।। जलं ।। चन्दन लाया ।चरण चढ़ाया […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 155 आचार्य । थुति, आर्य ! हित कार्य । अनिवार्य ।। स्थापना ।। उदक सित ।सुसंस्कृत ।।हित अमृत । समर्पित ।। जलं ।। गन्ध सित । सुसंस्कृत ।। हित अमृत […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 154 विद्या, सद्या,पाने ‘गाने’ ।। स्थापना ।। जल मैं ।चल मैं, आया ।।लाया।।जलं ।। चन्दन, सा-मन ।रोपें ! सौपें ।।चंदन ।। अक्षत ।अक्षत पद-हित ।।अर्पित ।।अक्षतम् ।। प्रसून । […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 153 शुरु,गुरु-बिना ।दिन न ।। स्थापना ।। नीर ।वीर !हेत-तीर ।। जलं ।। गन्ध ।चन्द ।।हेत-ऽऽनन्द ।। चन्दनं ।। अछत ।सुमत ।।हेत मुकत ।। अक्षतम् ।। सुमन ।श्रमण !हेत सु-मन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 152 नुति,यति ।हित,मति ।। स्थापना ।। सित-पल ।हित जल ।। जलं ।। चन्दन ।हित गुण ।। चन्दनं ।। अक्षत ।हित सत् ।। अक्षतम् ।। सित कुल ।हित गुल ।।पुष्पं ।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक – 151 वर्तमान ।वर्धमान ।।गुनि भव्या ।मुनि विद्या।।स्थापना।। सु-धार जल । सुधार कल ।। हित दस्तक । नत मस्तक।।जलं।। युत चन्दन ।गत क्रन्दन ।। हित दस्तक ।नत मस्तक।।चन्दनं।। युत अक्षत […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक – 150 भावी वधु शिव-पुर साथिया ।पा जिन्हें, नहीं क्या पा लिया ।।विद्यासागर गुरु-पारखी ।दो कला सिखा उस पार की ।। स्थापना ।। घट प्रासुक जल से भर लिया ।आ आप […]
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