परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 960 डंका बाज रहा स्वर्ग अन्त तक दिग्-दिगन्त तक गाज रहा दया पन्थ का, डंका बाज रहा दरद-मन्द का कृपा वन्त का सुत श्रीमन्त का, डंका बाज रहा स्वर्ग अन्त […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 960 डंका बाज रहा स्वर्ग अन्त तक दिग्-दिगन्त तक गाज रहा दया पन्थ का, डंका बाज रहा दरद-मन्द का कृपा वन्त का सुत श्रीमन्त का, डंका बाज रहा स्वर्ग अन्त […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 959 ऐसी अलख जगाई श्री गुरु विद्या सागर जी ने ऐसी अलख जगाई पीछे-पीछे, सारी दुनिया, भागी-भागी आई ‘रे ! बहना…ओ ! भाई ऐसी अलख जगाई श्री गुरु विद्या सागर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 958 रोते किसी को भी, देख सकते ही नहीं रहम दिल इतने हैं नैन नम रखते हैं गैरों में किसी को भी, रखते ही नहीं मेरे गुरु जी रोते किसी […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 957 जोड़ने भगवन् से अपना, अटूट नाताआ मनुआ‘रे आ मनुआगुरु चरणों में रखते हैं, अपना माथाजोड़ने भगवन् से अपना,अटूट नाता ।।स्थापना।। लाकर जल गंगा वालाकरते गुरु चरणन धाराआ मनुआ‘रे आ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 956 सीप ज्ञान सागर विद्या सागर मोती श्री गुरु कृपा थोड़ी भी थोड़े से थोड़ी भी श्री गुरु कृपा कम नहीं होती विद्या सागर मोती सीप ज्ञान सागर विद्या सागर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 955 गुरु कुन्द-कुन्द बगिया के फूल हैं छोटे बाबा हमारे और हम उनके चरणों की धूल हैं हैं हमें प्राणों से प्यारे छोटे बाबा हमारे सारी दुनिया से न्यारे हैं […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 954 नज़र पारखी गुरु ज्ञान सिन्ध की अपने ही जैसी मूरत गढ़ दी दया मयी क्षमा मयी करुणा मयी अपने ही जैसी अहिंसा मूरत गढ़ दी नज़र पारखी गुरु ज्ञान […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 953 गुरु ज्ञान-सिन्ध उपवन पा विद्या-सिन्ध सुमन छाया सुर्ख़ियों में चूँकि छू रहा गगन लगा पंख खुशबू जय-विद्या जय जयतू ।।स्थापना।। भेटूॅं गंगा-सिन्धु नीर झीनी-झीनी संग अबीर क्योंकि है तुझ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 952 सागर-सागर खारा पानी विद्या-सागर अमरित वाणी जग कल्याणी औघड़-दानी विद्या-सागर अमरित वाणी सागर-सागर खारा पानी विद्या-सागर अमरित वाणी ।।स्थापना।। कंचन कलशे भर के जल से भेंट, विहरने गफलत श्वानी […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 951 चाहते हैं तेरी पनाह हम चले आते हैं, दर पर तेरे अय ! ईश्वर मेरे रोजाना लिये अपनी निगाह नम चाहते हैं तेरी पनाह हम ।।स्थापना।। स्वर्ण के लेकर […]
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