परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 970 साथ श्रद्धा सुमन सिन्ध विद्या नमन लिये भींगे नयन साथ श्रद्धा सुमन सिन्ध विद्या नमन सिन्ध विद्या नमन ।।स्थापना।। जल गगरी लाया दुनिया धूप खरी गुरु-कृपा घनी छाया बस […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 970 साथ श्रद्धा सुमन सिन्ध विद्या नमन लिये भींगे नयन साथ श्रद्धा सुमन सिन्ध विद्या नमन सिन्ध विद्या नमन ।।स्थापना।। जल गगरी लाया दुनिया धूप खरी गुरु-कृपा घनी छाया बस […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 969 श्री गुरु आशीर्वाद सहज लग चला हमारे हाथ बाकी न और मुराद थी यही, एक फरियाद सहज लग चला हमारे हाथ जो श्री गुरु आशीर्वाद ।।स्थापना।। रोज की तरह […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 968 जैसे राखें वैसे रहना है गुरु भक्ति धारा में वहना है जय विद्या, जय विद्या कहना है गुरु भक्ति धारा में वहना है ।।स्थापना।। आना गुरु चरणों में रोजाना […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 967 कमाल कर दिया पहुँचा के अपनी लहर विद्या सागर ने घर घर निहाल कर दिया कमाल कर दिया ।।स्थापना।। धोने काले-काले मन आओ लाओ जल कंचन भेंटें गुरु चरणन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 966 लेखनी गुरु कुन्द-कुन्द दूसरे नाम आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम दरद-मन्द हैं दया-वन्त हैं शिरोमण सन्त हैं जिनकी भींगी सुमरण से हर शाम आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम लेखनी […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 965 कम नहीं, पल दो पल भी सत्संग के, पल दो पल भी कम नहीं छींटे भी, केशरिया रंग के, कम नहीं सत्संग के, पल दो पल भी कम नहीं […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 964 तेरे थे, तेरे हैं, तेरे ही रहेंगें हम उम्र भर जन्म हर कहते थे, कहते हैं, कहते ही रहेंगें हम जय विद्या-सागरम् ।।स्थापना।। साथ श्रद्धा सुमन जल गगरी कंचन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 963 सन्त न दूजा विद्या सागर सा उस जमीं पर सुनते हैं, आकर देवों ने पूजा इस जमीं पर यानी ‘कि इस-उस जमीं पर सन्त न दूजा विद्या सागर सा […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 962 सन्त बड़े अलबेले हैं सदलगा की माटी में खेले हैं विद्या-सागर सन्त बड़े अलबेले हैं सदलगा की माटी में खेले हैं ।।स्थापना।। आओ आओ चढ़ायें हम जल कलश स्वर्णिम […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 961 कल के अरिहन्त तुम जिनमें गुरु कुन्द-कुन्द झलके वो सन्त तुम चलते-फिरते ग्रन्थ तुम निर्ग्रन्थ तुम जिनमें गुरु कुन्द-कुन्द झलके वो सन्त तुम कल के अरिहन्त तुम ।।स्थापना।। न […]
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