परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 579 =हाईकू= छाई कालिमा घोर, गुरु जी छा दो लालिमा भोर ।।स्थापना।। भाग निकले जलन दिल से, ‘कि पूजूँ जल से ।।जलं।। भाग निकले राग मन से, पूजूँ ‘कि चन्दन […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 579 =हाईकू= छाई कालिमा घोर, गुरु जी छा दो लालिमा भोर ।।स्थापना।। भाग निकले जलन दिल से, ‘कि पूजूँ जल से ।।जलं।। भाग निकले राग मन से, पूजूँ ‘कि चन्दन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 578 *हाईकू* तुझपे कुर्बां हों, एक क्या जिन्दगी मेरीं हजारों ।।स्थापना।। पैसे रूप’ये तुम्हें न लुभा पाये, सो जल लाये ।।जलं।। बन्धन तुम्हें न लुभा पाये, सो ये चन्दन लाये […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 577 =हाईकू=आप जो द्वार पधारे, अहो-भाग, सौ-भाग म्हारे ।।स्थापना।। तेरी चरण-धूल मिल जाये, ले दृग्-जल आये ।।जलं।। पाने चरणों की धूल तोर, लाये चन्दन घोर ।।चन्दनं।। पाने चरणों की धूल […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 576 =हाईकू=हहा ! सताये दरद, सुन आये आप-विरद ।।स्थापना।। जल से,भर लाये कलशे, सेव, स्वीकारो देव ।।जलं।। ‘जी’ मनहारी, चन्दन-झारी,सेव, स्वीकारो देव ।।चन्दनं।। निराली थाली, धाँ शालि वाली, सेव, स्वीकारो […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 573 =हाईकू=मुस्कुरा, गुरु जी दिये बिना वक्त, लें बना भक्त ।।स्थापना।। आश ले आप गंधोदक, मैं चढ़ा रहा उदक ।।जलं।। आश ले सप्त-भै भंजन, मैं चढ़ा रहा चन्दन ।।चन्दनं।। आश […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 575 =हाईकू= नजर उठा के, ‘चित् चुरा लें’ गुरु जी मुस्कुरा के ।।स्थापना।। दृग् और जल धार, महिमा गुरु द्वार, अपार ।।जलं।। कांधे ‘सर-का’ भार, महिमा गुरु द्वार, अपार ।।चन्दनं।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 574 -हाईकू-ऊँचे लोगों में देते बिठा, ‘गुरु जी’ जमीं से उठा ।।स्थापना।। ‘दृग्-पानी’ कहे क्या,‘कि हो ज्ञात,भेंटूँ उदक आँख ।।जलं।। ‘चन्द… न’ कहे क्या,‘कि हो ज्ञात,भेंटूँ चन्दन पात्र ।।चन्दनं।। ‘चा…बल’ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 572 *हाईकू* निगाहें देख ले बस तुम्हें,मिले जन्नत इन्हें ।।स्थापना।। तुमने रखा जो ख्याल हमारा, मैं भेंटूँ दृग् धारा ।।जलं।। मेरी चन्दन-चौकी, पा तुम्हें धन, भेंटूँ चन्दन ।।चन्दनं।। मैं बन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 571 =हाईकू= जिन्दगी पूरी, बच्चों के लिये माँएँ होतीं जरुरी ।।स्थापना।। लाया जल के सुनहरे घड़े, दो मेंट दुखड़े ।।जलं।। लाया चन्दन घट मुँः तक भरे, होने विरले ।।चन्दनं।। लाया […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 570 =हाईकू =आनन्द होता अनन्त,करते ही वन्दना सन्त ।।स्थापना।। जल चढ़ाऊँ, चतुष्टय अनन्त कल ‘कि पाऊँ ।।जलं।। भेंटूँ चन्दन, अब बर्षा में ‘कि न करूँ रुदन ।।चन्दनं।। शालि धाँ भेंटूँ, […]
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