परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 589 =हाईकू=गुलाब की-सी पाखुडिंयाँ, आपकी पगतलिंयाँ ।।स्थापना।। अपना लो, ले नीर, आये पास, न कीजो निराश ।।जलं।। अपना लो, ले चन्दन, आये पास, कीजिओ दास ।।चन्दनं।। अपना लो, ले अक्षत, […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 589 =हाईकू=गुलाब की-सी पाखुडिंयाँ, आपकी पगतलिंयाँ ।।स्थापना।। अपना लो, ले नीर, आये पास, न कीजो निराश ।।जलं।। अपना लो, ले चन्दन, आये पास, कीजिओ दास ।।चन्दनं।। अपना लो, ले अक्षत, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 588 =हाईकू=तारण-हारे ! पनडुब्बी ‘कि डूबीबनो सहारे ।। स्थापना।। तुम सा कोई न दूजा, करता मैं जल से पूजा ।।जलं।। चन्दन लाया पूजन हेत, श्रद्धा भक्ति समेत ।।चन्दनं।। आया सवाली, लाया […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 587 =हाईकू= गुरु चरण सन्निधि, भेंटती आ…चरण निधि ।।स्थापना।। दृग्-जल धार, ओ ! अपना लो, आये चश्मा उतार ।।जलं।। रज मलय, ओ ! अपना लो, आये साथ विनय ।।चन्दनं।। सित […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 586 =हाईकू= आप आप ही छू पाप-भाव, छूते ही आप पाँव ।।स्थापना।। ओ ! अपना लो, ये बढ़िया-बढ़िया, जल नदिया ।।जलं।। ओ ! अपना लो, ये मन हारी, भरी चन्दन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 585 “हाईकू”तेरा मैं, मेरा तू,इस रिश्ते की न हो कम खुश्बू ।।स्थापना।। तेरी छांव में खड़े, फिकर मेरा दुश्मन करे ।।जलं।। तेरा हाथ जो मेरे सिर-पर, क्यूँ करूँ फिकर ।।चन्दनं।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 584 *हाईकू*न कुटिया ही, कर धन्य दो कभी,ये दुखिया भी।।स्थापना।। जल्दी-जल्दी में, भूले जल, स्वीकारो नैन सजल ।।जलं।। जल्दी-जल्दी में, भूले गन्ध, स्वीकारो सेवा-नुबन्ध ।।चन्दनं।। जल्दी-जल्दी में, भूले धाँ, स्वीकारो […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 583 =हाईकू=छू, बघारना शेखीं आंख-मृग,ज्यों देखीं आप दृग् ।।स्थापना।। जल चढ़ाने लाया,गफलत ‘कि समेटे माया ।।जलं।। गंध चढ़ाने लाया,नफरत ‘कि समेटे माया ।।चन्दनं।। सुधाँ चढ़ाने लाया,क्षत-पद ‘कि समेटे माया ।।अक्षतं।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 582 =हाईकू=देवता ! तुझे मनाना, क्या करना होगा दे-बता ।।स्थापना।। ले आये नीर नयन, पास गंगा-सिन्धु सुपन ।।जलं।। ले आये नीर नयन, अंश नाग-दंश चन्दन ।।चन्दनं।। ले आये नीर नयन, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचितपूजन क्रंमाक 581 -हाईकू-फेबते भाँति भगवान्,लें ज्यों ही श्री-गुरु मुस्कान ।। स्थापना।। तरेरे आँखें पीर,नीर भेंटते, भेंटिये धीर ।।जलं।। दिखाये आँखें मान,गंध भेंटते, भेंटिये ज्ञान ।।चन्दनं।। उठाये आँखें क्रोध,सुधा भेंटते, भेंटिये बोध ।।अक्षतं।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 580 =हाईकू=अभी मन न भरा, दे देना नव-धा-भक्ति पुनः ।।स्थापना।। भेंटते नीर, ‘जि कीजिये भौ-जल नौ उस-तीर ।।जलं।। भेंटते गन्ध, ‘जि कीजिये निकट-तट सानन्द ।। चन्दनं।। भेंटते शाली-धाँ, ‘जि दीजिये तट-ऊ […]
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