परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 599 हाईकू श्री गुरु दीया, ‘कि लौं लागी, अंधर बुराई भागी ।।स्थापना।। कर्तृ जन्मादि रोग-त्रय किनार, मैं छोड़ूॅं धार ।।जलं।। ओ ! भवाताप निकन्दन, चर्णन चर्चूं चन्दन ।।चन्दनं।। पद-अखण्ड दातार, […]