परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 609 *हाईकू*गुरु नखों की कान्ति सिवा, चन्द्रमा और है ही क्या ।।स्थापना।। भेंटूँ दृग्-नीर आप को,विघटाने कीर-जाप को ।।जलं।। भेंटूँ चन्दन आप को, विघटाने भवाताप को ।।चन्दनं।। भेंटूँ अक्षत आप […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 609 *हाईकू*गुरु नखों की कान्ति सिवा, चन्द्रमा और है ही क्या ।।स्थापना।। भेंटूँ दृग्-नीर आप को,विघटाने कीर-जाप को ।।जलं।। भेंटूँ चन्दन आप को, विघटाने भवाताप को ।।चन्दनं।। भेंटूँ अक्षत आप […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 608 =हाईकू=दिखाये भाग भाग,‘जी’बाग बाग कीजे गुरु जी ।।स्थापना।। दृग्-जल चढ़ा रहा ‘मैं’, जल, बना दो मोति हमें ।।जलं।। चन्दन चढ़ा रहा ‘मैं’,बाँस, बना दो वंशी हमें ।।चन्दनं।। धाँ चढ़ा […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 607 =हाईकू=मिलता चाँद से, एक चेहरा तो वो सिर्फ तेरा ।।स्थापना।। मीरा पा गई तीर, आया द्वार में भी लिये नीर ।।जलं।। मीरा दी लगा-पार, लिये गन्ध मैं भी आया […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 606=हाईकू=हृदयाँगन सूनो म्हारो, गुरु जी, आओ पधारो ।।स्थापना।। भेंटूँ जल के घड़े, होने आप से दिल के बड़े ।।जलं।। भेंटूँ चन्दन घड़े, होने आप से सज्जन निरे ।।चन्दनं।। भेंटूँ अक्षत […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 605 हाईकू हा ! कलि काली रात, गुरु जी कस थामिजो हाथ ।।स्थापना।। आज-सुकूने-कल रिझाने, लाया जल चढ़ाने ।।जलं।। आज-खुशिंयाँ-कल रिझाने, लाया गंध चढ़ाने ।।चन्दनं।। आज-खुशबु-कल रिझाने, लाया सुधाँ चढ़ाने […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 604 हाईकू न बोलने पे भी, लगते अच्छे हो, मुझे तो तुम्हीं ।।स्थापना।। ये जल अरु मुझे एक बार, लो कर स्वीकार ।।जलं।। ये चन्दन रु मुझे एक बार, लो […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 603 हाईकूदो दीव थमा,गुरु जी छाई काली अतीव अमा ।।स्थापना।। छोड़ी तुमनें जो गहल-म्याऊँ,सो जल चढ़ाऊॅं ।।जलं।। छोड़ी तुमनें जो गफलत-भृंग,भेंटूॅं सो-गंध ।।चन्दनं।। छोड़ी तुमनें मीन-गफलत,सो भेंटूॅं अक्षत ।।अक्षतं।। छोड़ी […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रमांक 602 हाईकूक्यों आपने न आना चुना,मौसम जाके आ गया ।।स्थापना।। जल सौंपते,त्राहिं माम्सुना, आप आँसू पौंछते ।।जलं।। चन्दन भेंटें,त्राहि माम्सुना, आप क्रन्दन मेंटें ।।चन्दनं।। अक्षत सौंपें,त्राहि माम्सुना, आप विपत् विलोंपें […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 601 हाईकूतुम्हें बनाने काम आते, तभी आ सभी रिझाते ।।स्थापना।। आये द्वार पे तेरे,लाये उदक, खोने अंधेरे ।।जलं।। आये द्वार पे तिरे,लाये चन्दन, होने विरले ।।चन्दनं।। आये द्वार पे तिरे,लाये […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 600 हाईकूसुनते आप जगत् की, सुन चला आया ‘तुरत-ही ।।स्थापना।। आया द्वारे मैं तिहारे, ले जल, ए ! विश्वास म्हारे ।।जलं।। आया द्वारे मैं तिहारे,ले चन्दन कलशे न्यारे ।।चन्दनं।। आया […]
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