परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 629 =हाईकू=ए ! दूजे चाँद पूनम-शरद, आ कीजे मदद ।।स्थापना।। अखीर उड़ा सकने, ‘अबीर’, मैं भेंटूँ दृग्-नीर ।।जलं।। अखीर कर पाने सु-मरण, मैं भेंटूँ चन्दन ।।चन्दनं।। अखीर बीते ‘जै-वीर’-जपत, मैं […]