परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 639 =हाईकू=विनीत, होते गुरुदेव ‘रब-से सबके मीत ।।स्थापना।। रख सकने मैत्री सब से, भेंटूँ जल कलशे ।।जलं।। रख सकने शिशु नौ-जात मन, भेंटूँ चन्दन ।।चन्दनं।। रख सकने निंदक आस-पास, भेंटूँ […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 639 =हाईकू=विनीत, होते गुरुदेव ‘रब-से सबके मीत ।।स्थापना।। रख सकने मैत्री सब से, भेंटूँ जल कलशे ।।जलं।। रख सकने शिशु नौ-जात मन, भेंटूँ चन्दन ।।चन्दनं।। रख सकने निंदक आस-पास, भेंटूँ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 638 =हाईकू= मीरा जितना न श्याम, ‘प्यारा’ मुझे तिहारा नाम ।।स्थापना।। कर सकने परिणाम सरल, भेंटूँ दृग्-जल ।।जलं।। कर सकने देर आत्म चिंतन, भेंटूँ चन्दन ।।चन्दनं।। कर सकने पुण्य संचय, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 637 =हाईकू= करे परेशाँ उलझन, सुलझा दीजे भगवन् ।।स्थापना।। कर सकने, शिव-शव फरक, भेंटूँ उदक ।।जलं।। कर सकने, अपना अनुभवन, भेंटूँ चन्दन ।।चन्दनं।। कर सकने, धिया-हंसी-मराली भेंटूँ धाँ शाली ।।अक्षतं।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 636 =हाईकू=ले लो शरण अपनी, ‘के दुनिया अटवी-घनी ।।स्थापना।। पूजा स्वप्न की मानते कहाँ, जल लाया सो पुन: ।।जल।। पूजा ‘घर’ की मानते कहाँ, लाया चन्दन पुन: ।।चन्दनं।। पूजा रात […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 635 =हाईकू=दे गुरु-जी दो पनाह, नहीं एक, अनेक राह ।।स्थापना।। भेंटूँ उदक नैन, आऊँ ‘कि पाँत, तिलक-जैन ।।जलं।। भेंटूँ चन्दन घट,आऊँ ‘कि पाँत, भंजन-हट ।।चन्दनं।। भेंटूँ अक्षत धान, आऊँ ‘कि […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 634 =हाईकू= अपने रंग में रंगा लो, ‘जि गुरु जी अपना लो ।।स्थापना।। बूरे-बुरे, सो आपके, लो अपना, ले जल खड़े ।।जलं।। बुरे-भले, सो आपके, लो अपना, ले गंध खड़े […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 633 =हाईकू= न मिली, छानी गली-गली, तुझ सी दरियादिली ।।स्थापना।। लाया नैनन-जल मैं, छोड़ देना न भँवर में ।।जलं।। आया गंध ले कर मैं, छोड़ देना न भँवर में ।।चन्दनं।। […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 632 “हाईकू” हो कृपा, मुदे ही नहीं, दृग् खुले भी, जाऊँ तुम्हें पा ।।स्थापना।। धारा दृग् जल ये छोड़ें हम, त्राहि माम् छेड़ें गम ।।जलं।। चन्दन धारा ये छोड़ें हम, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 631 =हाईकू=सिवा मुस्कान, ए ! मोर बागवानन ‘अर’मान ।।स्थापना।। ए ! मुझे मीरा श्याम,नीर भेंटूॅं, दो थमा मुकाम ।।जलं।। ए ! मुझे मीरा श्याम,चन्दन भेंटूॅं, दो भिंटा राम ।।चन्दनं।। ए […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 630 =हाईकू= ‘जि निहारो, ये दुखिया-कुटिया भी, कभी पधारो ।।स्थापना।। कर सकने, ये मन प्रांजल, मैं भेंटूॅं दृग्-जल ।।जलं।। कर सकने, ये मन निरंजन, भेंटूॅं चन्दन ।।चन्दनं।। कर सकने, ये […]
© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point
© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point