परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 689 =हाईकू=जुड़ी तुम्हीं से हर खुशी मेरी, ए ! जिन्दगी मेरी ।।स्थापना।। ‘आये बनने’, सहजो-गभीर, ले आये दृग्-नीर ।।जलं।। ‘आये बनने’,सहजो-निरंजन,लाये चन्दन ।।चन्दनं।। ‘आये बनने’,सहजो-निराकुल,लाये तण्डुल ।।अक्षतं।। ‘आये बनने’,सहजो-सुजन,ले आये […]