परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 760 दी किसी को मुस्कान, किसी को दिया पड़गान कृपया हमारा भी, रख लो ना ध्यान अय ! मेरे भगवान् ।।स्थापना।। जल से कलशे भर लाया तेरी चरण-शरण आया दे […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 760 दी किसी को मुस्कान, किसी को दिया पड़गान कृपया हमारा भी, रख लो ना ध्यान अय ! मेरे भगवान् ।।स्थापना।। जल से कलशे भर लाया तेरी चरण-शरण आया दे […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 759 क्या खोली, आ ‘खोली’चाँद-सितारों से, स्वप्न-नजारों सेझोली भरी निकली, गुरु-देव कृपा विरली दृग् नम थोडे़ थोडे़, थे हाथ अभी जोड़े‘रे बन चाली बिगड़ी, गुरु-देव कृपा विरली ।।स्थापना।। थे रखे […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 758 हाईकूसुन था रखा, आपको सुन आज अमृत चखा ।।स्थापना।। ‘आ…शा…न बढ़ा’शिक्षा तुम्हार, भेंटूँ सो जल धार ।।जलं।। ‘मैं दो…गला’ ‘जी शिक्षा तोरी, भेंटूँ सो गंध कटोरी ।।चन्दनं।। ओढ़नी चुन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 757 =हाईकू=दर्शन, ‘आप’चरणस्-पर्शन, दे सम्यक्-दर्शन ।।स्थापना।। सिन्धु भी नहीं आप जैसा गभीर, सो भेंटूँ नीर ।।जलं।। कहाँ चन्दन की आप-सी सुगंध, सो भेंटूँ गन्ध ।।चन्दनं।। और अक्षत न स्वाभिमान, भेंटूँ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 756 =हाईकू=सिर्फ आपके लिये है हुआ आना, दो मुस्कुरा ‘ना’ ।।स्थापना।। पाने राख, न चन्दन जलाऊँ, ‘कि जल चढ़ाऊँ ।।जलं।। कंचे पे कंचे न बिठाऊँ, ‘कि घट-गंध चढ़ाऊँ ।।चन्दनं।। चने के […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 755 =हाईकू=मेंटी चन्दन पीरा, ए ! मेरे वीरा, हूँ मैं भी तेरा ।।स्थापना।। प्रणाम मेरे, कर स्वीकार लो, ये पानीय घड़े ।।जलं।। वन्दन मेरे,‘स्वीकार लो’ये घडे़, चन्दन मेरे ।।चन्दनं।। ढोक […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 754 -हाईकू-चाहिये सहारे, न गैरों के मुझको ।निशाँ मिल गये, तेरे पैरों के मुझको ।।आँधिंयाँ चलें, आये तूफाँ हहा ! रे !पार उस खड़े, तुम जो बाहें पसारे ।।डूबने न […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 753 =हाईकू=हो कब घी का पानी डूबना, वैसे ‘गुरु’ कम न ।।स्थापना।। मेरी भी सुन लो, मेरी भी धारा दृग्-पानी चुन लो ।।जलं।। मेरी भी सुन लो, मेरी भी चन्दन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 752 =हाईकू= भरा गुरु ‘जी’ न अभी, जीमने आ जाना कल भी ।।स्थापना।। तुझे खुद से बढ़के पर-पीर, सो भेंटूँ नीर ।।जलं।। मेंटे तू सुन के और क्रन्दन, सो भेंटूँ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 751 =हाईकू=कभी, हो यूँ भी, आप विधी लें,और याद आऊँ मैं ।।स्थापना।। पा पुण्य-पीछी सा जाऊँ, ले भाव ये जल चढ़ाऊँ ।।जलं।। ‘पीछी-पुण्य’ ले आश, भेंटूँ चन्दन और सुवास ।।चन्दनं।। […]
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