परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 770 साँसों का सरकनामैंनें दिले-साज अपनातुझपे निसार किया तूने इतना मुझे दियातूने अपना मुझे लिया साँसों का सरकनामैंनें दिले-साज अपनातुझपे निसार किया ।।स्थापना।। न सिर्फ ये कलशी जल की,मैनें अपना […]