परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 800 दी ये जिन्दगी है तेरी, इस ‘दीये’ दी ये रोशनी है तेरीथी चल रही जोर सेहवा चारों ओर सेकर ओट तुम्हीं ने तो, आँचल के छोर सेकी रक्षा है […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 800 दी ये जिन्दगी है तेरी, इस ‘दीये’ दी ये रोशनी है तेरीथी चल रही जोर सेहवा चारों ओर सेकर ओट तुम्हीं ने तो, आँचल के छोर सेकी रक्षा है […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 799 हाईकूतेरी न कोई खता, मैं ही शबरी न बन सका । न कर तेरा इन्तजार, जो तेरे द्वार आ खड़ा । पर करता भी क्या, थम ही रहे थे […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 798 फिर फिर नजर छू रही जिगर हो तुम जो भीतर अय ! मेरे गुरुवर क्या अचरज इसमें है न देखा किसने सूरज जहाँ, सूरज मुखी आ ही रहा राजी-खुशी […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 797 हाईकूइन चरणों से अपने, करना न जुदा मुझे । तुझसे पीछे कदम, याद आता है खुदा मुझे । मेरी साँसों में और कौन, तू ही तो आता जाता है […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 796 हाईकूउसे गुरुदेव ने, तकलीफ़ कभी होने नहीं दी जिसने गुरुदेव की, तस्वीर कभी खोने नहीं दी दयामयी गुरुदेव, मेरे क्षमामयी गुरुदेव, किरपा अपनी मेरे ऊपर, रखना बना सदैव, क्षमामयी […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 795 वीर को बाला चन्दन की, फ़िकर थी सुनते हैंआ श्री राम ने शबरी की,खबर ली, सुनते हैंमुझ-मीरा ए ! किशन, दे मुझे भी तो दो दर्शन, रक्खें कितनी शबर, हैं […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 794 हाईकूअपनी पहचान, दी गुरु जी ने जिसे, अपनी मुस्कान,लागे हाथ किनारे हैं, चमके भाग सितारे हैं, उसके बारे न्यारे हैं, छू चला वो आसमान, दी गुरु जी ने जिसे, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 793 तुम ज्योति मैं दीप, तुम मोती मैं सीप, है आरजू यही, तुम यूँ ही, बने रहना समीप ।।स्थापना।। तुम पानी, मैं मीन, तुम दानी, मैं दीन, है आरजू यही, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 792 तू खुशबूमैं गुल हूँबिन तेरे, भगवन् मेरे !मैं रो दूँगा,जाँ खो दूँगा, मैं मछली, हैं जल तूमैं गुल हूँ, तू खुशबू ।।स्थापना।। हेत समकित, जल समर्पित, चरणन तेरे, भगवन् […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 791 कब अपने से जुदा माना है मैंने तुझे अपना खुदा माना है तेरे सिवा, कोई और मेरा अपना है भी तो नहीं तुझे पाने के सिवा, कोई और मेरा […]
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