परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 850 =हाईकू= पाके अपने द्वार तुझे है मिला जहान मुझे । था जिसे ढूँढ रहा मैं, वह मिला भगवान् मुझे ।। है गुजारिश मेरी, अब यही, है ख्वाहिश मेरी । […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 850 =हाईकू= पाके अपने द्वार तुझे है मिला जहान मुझे । था जिसे ढूँढ रहा मैं, वह मिला भगवान् मुझे ।। है गुजारिश मेरी, अब यही, है ख्वाहिश मेरी । […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 849 गुरुदेव कृपा-वन्त गुरुदेव शुभ-शगुन छूते ही गुरु चरण काम बन चला तुरन्त गुरुदेव दया-नन्त गुरुदेव कृपा-वन्त ।।स्थापना।। भेंटते ही नीर सिन्धु काम बन चला तुरन्त गुरुदेव दया-नन्त गुरुदेव कृपा-वन्त […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 848 जुड़ चाले नाम मेरा, तेरे नाम से जैसे जुड़ा नाम मीरा, हरी श्याम से श्री राम से नाम जैसे जुड़ा मारुति नन्दन भगवति चन्दन नाम जैसे जुड़ा महावीर स्वाम […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 847 =हाईकू= अपने पाँवों के पास का, दे मुझे दो एक कोना । ये दुनिया तो ‘साधे स्वार्थ’, समझे मुझे खिलौना ।। ‘के तुम, साफ नज़र आओ, जहाँ से मेरे […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 846 किया वादा देने का साथ तुमनें जब से है फेरा मेरे सिर पर हाथ तुमनें तब से गुम कहीं थकान हुई मेरी जिन्दगी आसान हुई मैं जुड़ने लगा, बेजोड़ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 845 मन्दिर मन मेरे मेरे भगवन ! चरण तेरे विराजे रहे युँही और आरजू नहीं ।।स्थापना।। लाया जल कलशी साथ ढ़ोक फरसी लो स्वीकार नमन मेरे मेरे भगवन ! चरण […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 844 कहो, अहो, हो कहाँ के इस जहाँ के, लगते ही नहीं तुम रखते ही नहीं, गैरों में किसी को पैरो में रखते ही नहीं दिल के सिवा अय ! […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 843 मैं पतझड़, मुझे झिर सावन दे दो मैं पत्थर, मुझे छव-पावन दे दो नजर मेरी तरबतर, तेरा इन्तजार कर आज आकर, मेरे-घर, मुझे पड़गाहन दे दो ।।स्थापना।। लिये नीर […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 842 छोड़ शिकवे-गिले गैरों को लगा आना गले सिर्फ़ तुम्हें आया लुटा आना, शाम तक जो भी मिले कल आना भले किन्तु लुटा आना, शाम तक जो भी मिले सिर्फ़ […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 841 एक, दो, तीन, चार विद्यासागर गुरु हमार पाँच, छै, सात, आठ मेरे गुरु का हृदय विराट नौ, दश, ग्यारा, बारा गुरु-द्वारा तारा-हारा जयकारा जय-जयकारा गुरु-द्वारा तारा-हारा ।।स्थापना।। गुरु चरणन […]
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