परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 860 =हाईकू= कब आओगे, ले सुमरनी, जपे थी धड़कन । आ गये तुम जो, तो जा रही, थमी-सी धड़कन ।। और बन-के गंग-जमुन, झिर चाले नयन । राखना लाज, सुन […]
आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 860 =हाईकू= कब आओगे, ले सुमरनी, जपे थी धड़कन । आ गये तुम जो, तो जा रही, थमी-सी धड़कन ।। और बन-के गंग-जमुन, झिर चाले नयन । राखना लाज, सुन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 859 आँखों के आँसू मेरे, आज थमने से करें मना । लिया अपना, तूनें जो मुझे, लिया अपना बना ।।स्थापना।। भेंटूँ जल गगरी नाचूँ बन चकरी हो चला पूरा सपना […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 858 =हाईकू= क्या बन पड़ी थी गुस्ताखी, जो बाद अर्से आये हो । दें गल्तियों की देते माफी, क्यों बाद अर्से आये हो ।। आ आज गये, न रह जाना, […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 857 =हाईकू= कर दूँ नाम तेरे, मैं सरगम के सुर सारे । मन करता मेरा, पाँवों में तेरे बिछा दूँ तारे ।। सपना मेरा, है अकेला ही तो तू, अपना […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 856 =हाईकू= न कुछ-कुछ अपना, न बहुत-कुछ अपना । पता तुझे, मैं तुझे मानूँ सब-कुछ अपना ।। ये दिल मेरा, है तेरी ही तस्वीरों से भरा-पूरा । तू अपना ले […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 855 दीदार बिन तेरे बेकरार नयन मेरे आँसू बेशुमार है तुझको रहे बुला क्यूँ मुझको दिया भुला अय ! भगवन मेरे दीदार बिन तेरे बेकरार नयन मेरे अय ! भगवन […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 854 =हाईकू= विद्या शरद पूनम चाँदा, और ज्ञान सागर । लुटाये कहाँ से, यही से तो भर-भर गागर ।। वो ज्ञानामृत, प्यासे हम भी जरा हमें भी दे दो । […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 853 =हाईकू= कोई सपनों में आता है मेरे, तो सिर्फ तुम हो । कोई अपनों में आता है मेरे, तो सिर्फ तुम हो ।। बनके आती जाती श्वास, तू रहे […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 852 तुम आ गये, आज जैसे आ जाना, कल भी वैसे । मीन मैं, जल तुम बिना, हो तो हो रहना कैसे ॥ देखो ना रोज, खातिर सरोज आ सूरज […]
परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित पूजन क्रंमाक 851 अपलक, पाता रहूँ तेरी झलक, यूँ ही करीब बैठ के तेरे अय ! गुरुदेव मेरे ।।स्थापना।। मैं चढ़ाऊँ दृग्-जल पाने कुछ स्वर्णिम पल ‘के अपलक पाता रहूँ तेरी झलक, […]
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