आदर्श घर वही है जहाँ अपने कुल की गरिमा के अनुरूप आचरण रखा जाता है । जहाँ पूर्वजों के संस्कार, आचार, विचार-रीति, रिवाज, रहन-सहन में बहुत अधिक ध्यान रखा जाता है । अपने पूर्वजो की गौरव शाली परम्परा के अनुरूप […]
आदर्श घर वही है जहाँ अपने कुल की गरिमा के अनुरूप आचरण रखा जाता है । जहाँ पूर्वजों के संस्कार, आचार, विचार-रीति, रिवाज, रहन-सहन में बहुत अधिक ध्यान रखा जाता है । अपने पूर्वजो की गौरव शाली परम्परा के अनुरूप […]
जिसके हाथों में झूला की डोरी , वह नारी जगत का उध्दार करें ।जिसके वचनों में जिनवाणी, वह अपने बच्चों का कल्याण करें ।।जिसके सस्कारों से ही बच्चे , पाठशाला में संस्कार ग्रहण करें ।ये बच्चे आगे जाकर के , […]
नौ दस माह कोख में रखकर माँ, ने मुझको पाला था ।किन्तु जन्म देकर फिर , भवसागर में डाला था ॥फिर गर्भस्थ किया गुरवर ने , धर्म कोख में है पाला ।कैसे उनके गुण गाऊँ मैं, जिसने अपना सब कुछ […]
देव नमो अरहन्त नित, वीतराग विज्ञान ।चन्दनषष्ठी व्रत कथा, कहूँ स्वपर हित जान ॥काशी देश में बनारस नाम का प्रसिध्द नगर है । जिसको, तेइसवें तीथँकर श्री पार्श्वनाथ भगवान ने अपने जन्म धारण करने से पवित्र किया था । उसी […]
एक सेठजी के चार लड़के थे । उनकी पत्नि शीलवती एवं गुणवती थी । एक दिन सेठ जी ने कहा ये बेटे मेरे नहीं है । सेठानी ने अनसुना कर दिया लेकिन सेठ जी ने दो तीन बार यह बात […]
रात का दीपक चन्द्रमा, दिन का दीपक भान ।कुल का दीपक पुत्र है, जग का दीपक ज्ञान ॥राजभवन में वार्तालाप के दरम्यान राजा अपनी रानी से कहता है, हे मदालसे अभी तक आपकी गोद सूनी है ।विनयावत् मदालसा – हे […]
कुछ बेटे ऐसे होते हैं जो माँ को रूलाते हैं और कुछ बेटे ऐसे होते हैं जो माँ के दुःख में रोते हैं। अपना जीवन न्यौछावर कर देते हैं, जिन्हें अपनी माँ की चिंता हैं ऐसे ही बेटे की कथा […]
“खो न जाये , शान हमारी है बेटी तुम ऐसा काम नही करना ।बिटिया रानी तुम परदेश मे रहकर, लाज हमारी सदा बचाये रखना ॥तुम तो दोनो कुलों का दीपक हो , तुमसे ही शान रही मेरी ।मेरा सिर शर्म […]
फूल कभी दोबारा नही खिलते, जन्म कभी दोबारा नही मिलते ।मिलते हैं हजारो लोग मगर, हजारो गल्तियाँ माफ करने वाले, माँ बाप नही मिलते ॥“फिक्र में बच्चे के कुछ ऐसे ही धुल जाति है माँ ।नौजवाँ होते हुये भी वह, […]
मंगलाचरणणमो अरिहंताणं,णमो सिध्दाणं,णमो आइरियाणं,णमो उवज्झायाणं,णमो लोए सव्वसाहूणं.एसो पंच णमोयारो सव्व पावप्पणा सणो ।मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं होइ मंगल ।।विष से भरा विषय भोग को भोग रहा था मैं भोगी ।जनम-मरण, भय रोग से, तडफ रहा था मैं वन योगी ॥तीन […]
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