अभिनन्दन नाथ आरती अभिनन्दन, शत शत वन्दन । भगवन् अर्हन अभिनन्दन ।। कर आरति तुम हाथ धन । लख मूरति तुम आँख धन !...
संभवनाथ आरती आरती संभव जिन । मैं उतारूँ निश-दिन । बाती कपूर वाली । मण रत्नों की थाली ।। दीप सजा के अनगिन ।...
अजितनाथ आरती जय जिन अजित, अजित जिन जय-जय । करे आरती कर्म सभी क्षय । हरे आरती सप्त सभी भय ॥ आरती प्रथम गर्भ...
श्री १००८ आदिनाथ भगवान्आरती थाल सजाओ । ज्योत जगाओ ।।आदि ब्रह्म की आरती, उतारें आओ । सपना नाता ।अपना माता...
आदिनाथ ‘वृहद्-चालीसा’ दोहा लगा रहे काँधे बिठा, भवि भक्तों को पार । गूॅंज रही इक सुर तभी, ‘आदि ब्रह्म’...
अजित ‘वृहद्-चालीसा’ दोहा मुकुट बद्ध राजा सभी, खडे़ माथ रख हाथ । जन्म समय तब पड़ चला, नाम ‘अजित’ तुम...
संभवनाथ वृहद चालीसा दोहा स्वस्ति झिर चली नाम से, फूटे ज्यों गुल गन्ध । जिन संभव वन्दन तिन्हें, श्रद्धा लिये...
अभिनन्दन नाथ वृहद चालीसा दोहा अभिनन्दन गुण गण किया, कर अवगुण अवसान । यूँ ही ‘सहज’ न बन चले, अभिनन्दन...
सुमतिनाथ वृहद चालीसा दोहा नाम सुमत रख, कर चली, माँ मत-हंसी साथ । बात कुछ निराली तभी, भवव-तार इक हाथ ।। चौपाई...
पद्मप्रभ वृहद चालीसा दोहा जल विभिन्न रह पद्म से, कीना सार्थक नाम । देवदेव प्रभु पद्म वे, कोटिक तिन्हें...
सुपार्श्व नाथ वृहद चालीसा दोहा स्वर्ण लोह पारस करे, तुम करते निज भाँत । तभी नाम तुम पड़ चला, देव सुपारस नाथ...
चन्द्र-प्रभ चन्द्र-प्रभ वृहद चालीसा ‘दोहा’माथे कलंक चन्द्रमा,आप चरित निष्कलंक ।खुद जैसा कर लो...
