परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक – 6
मेरे भगवन् विद्यासागर हैं ।
दिले धड़कन ।
आशा किरण ।
खुशी के क्षण ।
मेरे भगवन् विद्यासागर हैं ।।स्थापना।।
ॐ ह्रीं श्री 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज अत्र अवतर अवतर संवोषट् इति आव्हानम्।
ॐ ह्रीं श्री 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: इति स्थापनम्।
ॐ ह्रीं श्री 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणम्।
पुष्पांजलि क्षिपामी…
आया शरण ।
लाया चरण ।
नीर कञ्चन ।
मेरे भगवन विद्यासागर हैं ।।
दिले धड़कन ।
आशा किरण ।
खुशी के क्षण ।
मेरे भगवन् विद्यासागर हैं ।।जलं।।
आया शरण ।
लाया चरण ।
धार चन्दन ।
मेरे भगवन विद्यासागर हैं ।।
दिले धड़कन ।
आशा किरण ।
खुशी के क्षण ।
मेरे भगवन् विद्यासागर हैं ।।चन्दनं।।
आया शरण ।
लाया चरण ।
शालि धाँ कण ।
मेरे भगवन विद्यासागर हैं ।।
दिले धड़कन ।
आशा किरण ।
खुशी के क्षण ।
मेरे भगवन् विद्यासागर हैं ।।अक्षतं।।
आया शरण ।
लाया चरण ।
गुल नन्द वन ।
मेरे भगवन विद्यासागर हैं ।।
दिले धड़कन ।
आशा किरण ।
खुशी के क्षण ।
मेरे भगवन् विद्यासागर हैं ।।पुष्पं।।
आया शरण ।
लाया चरण ।
भोग छप्पन ।
मेरे भगवन विद्यासागर हैं ।।
दिले धड़कन ।
आशा किरण ।
खुशी के क्षण ।
मेरे भगवन् विद्यासागर हैं ।।नेवैद्यं।।
आया शरण ।
लाया चरण ।
दीपक रतन ।
मेरे भगवन विद्यासागर हैं ।।
दिले धड़कन ।
आशा किरण ।
खुशी के क्षण ।
मेरे भगवन् विद्यासागर हैं ।।दीप॑।।
आया शरण ।
लाया चरण ।
धूप घट अन ।
मेरे भगवन विद्यासागर हैं ।।
दिले धड़कन ।
आशा किरण ।
खुशी के क्षण ।
मेरे भगवन् विद्यासागर हैं ।।धूपं।।
आया शरण ।
लाया चरण ।
फल दिव्य धन ।
मेरे भगवन विद्यासागर हैं ।।
दिले धड़कन ।
आशा किरण ।
खुशी के क्षण ।
मेरे भगवन् विद्यासागर हैं ।।फल॑।।
आया शरण ।
लाया चरण ।
द्रव्य तिय-पन ।
मेरे भगवन विद्यासागर हैं ।।
दिले धड़कन ।
आशा किरण ।
खुशी के क्षण ।
मेरे भगवन विद्यासागर हैं ।।अर्घं।।
दोहा=
विघन हरण गुरुदेव हैं,
शगुन करण गुरुदेव ।
तरण चरण गुरुदेव हैं,
सेवा साध सदैव ।।
=जयमाला=
सुर’भी’ सौरभ तुम ।
सदलगा गौरव तुम ।।
चाँद पूनम मुखड़ा ।
तुम विहरते दुखड़ा ।।
व्यथा सुन लेते हो ।
दुखी चुन लेते हो ।।
आँख रखते पानी ।
कौन तुम सा दानी ।।
सुर’भी’ सौरभ तुम ।
सदलगा गौरव तुम ।।
चाँद पूनम मुखड़ा ।
तुम विहरते दुखड़ा ।।
एक मंगलकारी ।
तुम अमंगल हारी ।।
बने नैय्या खेते ।
निराकुल कर देते ।।
सुर’भी’ सौरभ तुम ।
सदलगा गौरव तुम ।।
चाँद पूनम मुखड़ा ।
तुम विहरते दुखड़ा ।।
बोल नाते मुरली ।
घोल आते मिसरी ।।
मन विशुद्धी रखते ।
वचन सिद्ध रखते ।।
सुर’भी’ सौरभ तुम ।
सदलगा गौरव तुम ।।
चाँद पूनम मुखड़ा ।
तुम विहरते दुखड़ा ।।
डूब गहरी नाता ।
ख्यात गौरव गाथा ।।
क्यों न चुप हो चालूँ ।
डूब भीतर पालूँ ।।
सुर’भी’ सौरभ तुम ।
सदलगा गौरव तुम ।।
चाँद पूनम मुखड़ा ।
तुम विहरते दुखड़ा ।।
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
दोहा=
दुनिया स्वारथ से भरी,
रख लो अपने साथ ।
छोटी सी गुरु देव ये,
है मेरी अरदास ।।
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