आओ ‘री आओ ।
सखि ! आओ ‘री आओ ।
पर्व अठाई पूज रचाओ ।।
आओ ‘री आओ ।
अविनश्वर है ।
पुन अक्षर है ।
शिव सुन्दर है ।
द्वीप आठवां नन्दीश्वर है ।।
दृग कलशों में, जल भर लाओ ।।
पर्व अठाई पूज रचाओ ।
आओ ‘री आओ ।
ॐ ह्रीं श्री नंदीश्वर द्वीप जिनालयस्थ
समस्त अविनश्वर भगवन् !
अत्र अवतर ! अवतर ! संवौषट् !
इति आह्वाननम्
अत्र तिष्ठ! तिष्ठ! ठ:! ठ:!
इति स्थापनम्
अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् !
इति सन्निधिकरणम्
सुर-गण सारे ।
भगवन् द्वारे ।
क्षीर नीर ले, सविनय ठाड़े ।
गंगा जल से घट भर लाओ ।।
ढ़ोल बजाओ ।
नाचो गाओ ।
पर्व अठाई पूज रचाओ ।
आओ ‘री आओ ।
ॐ ह्रीं श्री नंदीश्वर द्वीप जिनालयस्थ
समस्त अविनश्वर भगवन् !
जलं निर्वपामीति स्वाहा ।।
सुर-गण सारे ।
भगवन् द्वारे ।
गन्ध नन्द ले, सविनय ठाड़े ।
मलयागिर चन्दन घिस लाओ ।।
झूम दिखाओ ।
धूम मचाओ ।
पर्व अठाई पूज रचाओ ।
आओ ‘री आओ ।
ॐ ह्रीं श्री नंदीश्वर द्वीप जिनालयस्थ
समस्त अविनश्वर भगवन् !
चंदन निर्वपामीति स्वाहा ।।
सुर-गण सारे ।
भगवन् द्वारे ।
आन धान ले, सविनय ठाड़े ।
सार्थ नाम अक्षत कण लाओ ।।
पंख लगाओ ।
रंग उड़ाओ ।
पर्व अठाई पूज रचाओ ।
आओ ‘री आओ ।
ॐ ह्रीं श्री नंदीश्वर द्वीप जिनालयस्थ
समस्त अविनश्वर भगवन् !
अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा ।।
सुर-गण सारे ।
भगवन् द्वारे ।
गुल मञ्जुल ले, सविनय ठाड़े ।
सुरभित पुष्प सुकोमल लाओ ।।
लगन लगाओ ।
सु…मन बनाओ ।
पर्व अठाई पूज रचाओ ।
आओ ‘री आओ ।
ॐ ह्रीं श्री नंदीश्वर द्वीप जिनालयस्थ
समस्त अविनश्वर भगवन् !
पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा ।।
सुर-गण सारे ।
भगवन् द्वारे ।
जोग भोग ले, सविनय ठाड़े ।
षट् रस मिश्रित व्यञ्जन लाओ ।।
फाग मनाओ ।
राग घटाओ ।
पर्व अठाई पूज रचाओ ।
आओ ‘री आओ ।
ॐ ह्रीं श्री नंदीश्वर द्वीप जिनालयस्थ
समस्त अविनश्वर भगवन् !
नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
सुर-गण सारे ।
भगवन् द्वारे ।
मोति ज्योति ले, सविनय ठाड़े ।
मृण दीपों में घृत भर लाओ ।।
ज्योत जगाओ ।
मोह घटाओ ।
पर्व अठाई पूज रचाओ ।
आओ ‘री आओ ।
ॐ ह्रीं श्री नंदीश्वर द्वीप जिनालयस्थ
समस्त अविनश्वर भगवन् !
दीपं निर्वपामीति स्वाहा ।।
सुर-गण सारे ।
भगवन् द्वारे ।
नूप धूप ले, सविनय ठाड़े ।
दसिक रसिक अलि सुगंध लाओ ।।
माल रचाओ ।
द्वार सजाओ ।
पर्व अठाई पूज रचाओ ।
आओ ‘री आओ ।
ॐ ह्रीं श्री नंदीश्वर द्वीप जिनालयस्थ
समस्त अविनश्वर भगवन् !
धूपं निर्वपामीति स्वाहा ।।
सुर-गण सारे ।
भगवन् द्वारे ।
केल भेल ले, सविनय ठाड़े ।
ऋत ऋत के मीठे फल लाओ ।।
प्रीत जगाओ ।
गीत उठाओ ।
पर्व अठाई पूज रचाओ ।
आओ ‘री आओ ।
ॐ ह्रीं श्री नंदीश्वर द्वीप जिनालयस्थ
समस्त अविनश्वर भगवन् !
फलं निर्वपामीति स्वाहा ।।
सुर-गण सारे ।
भगवन् द्वारे ।
सरब दरब ले, सविनय ठाड़े ।
द्रव जल से फल तक सब लाओ ।।
थाल सजाओ ।
भाल झुकाओ ।
पर्व अठाई पूज रचाओ ।
आओ ‘री आओ ।
ॐ ह्रीं श्री नंदीश्वर द्वीप जिनालयस्थ
समस्त अविनश्वर भगवन् !
अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा ।।
दोहा
कार्तिक, फाग, असाढ़ के,
अन्त आठ दिन न्यार ।
जा नंदीश्वर, सुर जजें,
हम उर वेदि मंझार ।।
जयमाला
द्वीप अष्टम श्री नंदीश्वर ।
भौन बावन प्रतिमा अक्षर ।।
घूंघरी लटें ।
नाक दृग रखें ।
आंख कब हटें ।
मन-हरण ! छव सत् शिव सुन्दर ।।
भौन बावन प्रतिमा अक्षर ।
द्वीप अष्टम श्री नंदीश्वर ।।
पांखुड़ी दृगें ।
पगतली फबें ।
करतली धरें ।
स्वयं करतल के ही ऊपर ।।
भौन बावन प्रतिमा अक्षर ।
द्वीप अष्टम श्री नंदीश्वर ।।
शश चंवर ढुरें ।
छत्र सिर फिरें ।
नन्द गुल झिरें ।
नाम सुन्दर, नमेर, मन्दर ।।
भौन बावन प्रतिमा अक्षर ।
द्वीप अष्टम श्री नंदीश्वर ।।
दुन्दुभी बजें ।
नाद जै सजें ।
देव गण भजें ।
भवन, ज्योतिष, विमान, व्यन्तर ।
भौन बावन प्रतिमा अक्षर ।
द्वीप अष्टम श्री नंदीश्वर ।।
गंध दश उड़ें ।
चुनर शश जढ़ें ।
अश्रु दृग चढ़ें ।
पाप क्षत निधत्त दर्शन कर ।।
भौन बावन प्रतिमा अक्षर ।
द्वीप अष्टम श्री नंदीश्वर ।।
दोहा
आज धन्य जीवन हुआ,
अष्टाह्निक आराध ।
बस यूँ ही बढ़ते चलूँ,
पाऊॅं मरण समाध ।।
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