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आरती

आचार्य श्री आरती-3

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

==आरती==

आरती छोटे बाबा की
मिटाती पीर सुनो साथी ।
भिंटाती तीर, चुनो साथी ।।
छोड़ के और काम बाकी ।
आरती छोटे बाबा की
अश्रु जल भर के आंखों में ।
दीप घृत लेके हाथों में ।
करो संध्या तीनों साथी ।
छोड़ के और काम बाकी ।।१।।

रोम पुलकन अनचीनी ले ।
भावना भींनी-भींनी ले ।।
विनाशे कष्ट, सुनो साथी ।
पंच परमेष्ट, चुनो साथी ।।
छोड़ के और काम बाकी ।
आरती छोटे बाबा की ।।
अश्रु जल भर के आंखों में ।
दीप घृत लेके हाथों में ।
करो संध्या तीनों साथी ।
छोड़ के और काम बाकी ।।२।।

सुपन जो देखे अनदेखे ।
सुमन दो श्रद्धा के लेके ।।
निरा-कुल थान, सुनो साथी ।
गुरू-कुल ज्ञान, चुनो साथी ।।
छोड़ के और काम बाकी ।
आरती छोटे बाबा की ।।
अश्रु जल भर के आंखों में ।
दीप घृत लेके हाथों में ।
करो संध्या तीनों साथी ।
छोड़ के और काम बाकी ।।३।।

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