भक्ता-मर-स्तोत्र ५९
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ
भक्त अमर, तात मात ।
विहर पाप-तम प्रभात ।।
सिन्धु जन्म पतित आद ।
पोत-भाँत विश्व-ख्यात ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।१।।
आप तत्त्व बोध हाथ ।
एक देव-लोक नाथ ।।
किया थवन, थवन करूँ,
जोड़े हाथ, झुका माथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।२।।
वन्द्य-बुद्ध पीठ पाद ।
लाज छोड़ आज नाथ ।।
थवन करूँ, करूँ नीर,
चॉंद हाथ, बाल भाँत ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।३।।
थाह देव गुरु न हाथ ।
आप सिन्धु-गुण अगाध ।।
पार धार लहर-कहर,
कहाँ, हाथ बाहु साथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।४।।
भक्ति तोर बस धकात ।
शक्ति मोर कहॉं नाथ ।।
भिड़ी मृगी देख बाल ।
आप भॉंत, सींह हाथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।५।।
कखहरा न अंक साथ ।
मुखर भक्ति तुम बलात् ।।
मधुर गान पिक इसमें,
बौर हाथ, आम-बात ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।६।।
शाम शाम नाम याद ।
आप पाप खिल विघात ।।
प्रात मिहिर छुआ… हवा,
हाथ-हाथ तिमिर रात ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।७।।
थुति मनहर विश्व ख्यात ।
संस्तुति यह तुम प्रसाद ।।
मुक्ताफल पड़ जल कण,
आप भॉंत, कमल पात ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।८।।
दूर थवन, प्रद-मुराद ।
कथा आप निर्विवाद ।।
सूर-दूर, नूर सर,
सरोज हाथ, हाथ-हाथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।९।।
कब अद्भुत भूत नाथ ।
भजत आप आप भॉंत ।।
धनी वही सेव बदल,
अरे ! हाथ, करे साथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।१०।।
रूप तोर आत्म सात ।
कहाँ और नैन भॉंत ।।
पिया क्षीर सिन्धु-नीर,
कौन-हाथ, कौन भ्रात ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।११।।
मृदा जुदा आप भॉंत ।
गया रचा आप गात ।।
नूप रूप अहा कहाँ,
रूप रात और हाथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।१२।।
दृग्-हर दिश् विदिश् साथ ।
मुख उपमा प्रमुख ख्यात ।।
मुख मयंक दुख कलंक,
दिवस भाँत, ढ़ाक पात ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।१३।।
गुण तिहार, गैर-पाथ ।
जग लाँघें बात-बात ।।
कौन रोक-वन्त माथ,
आप हाथ एक नाथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।१४।।
पाश रति न सकी बाँध ।
सुर-तिय शर पुष्प साध ।।
मेर ढ़ेर कहाँ भले,
मृत्यु भॉंत प्रलय वात ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।१५।।
जगत्-जगत् जगमगात ।
तम न तले अगम वात ।।
आप दीप धूम-झूम,
तेल बर्तिका ना तात ! ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।१६।।
जगमग जग एक साथ ।
दूर पहुँच राहु हाथ ।।
झाँप मेघ दूर-नूर,
शूर प्रात और रात ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।१७।।
निष्कलंक यथा-जात ।
राहु अगम, तम-विजात ।।
दूर मेघ झाँप आप,
चाँद रात और प्रात ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।१८।।
दिन रवि क्यों चाँद रात ।
तम गुम तुम मुख-प्रसाद ।।
गई धान पक, नाहक
नीर साथ मेघ नाद ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।१९।।
भेद-ज्ञान गौर-गात ।
कहाँ देव और थात ।।
कान्ति रत्न-महा, कहाँ
साँच बात, काँच हाथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।२०।।
व्यर्थ ना सराग साथ ।
प्रीत वीत-राग हाथ ।।
चोर चित् न मिला और,
हॉंप हाथ आप बाद ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।२१।।
सुत न मात आप भाँत ।
नार मात असंख्यात ।।
दिशा दिशा नखत-जगत,
पूर्व मात्र सूर्य मात ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।२२।।
मिहिर, घात तिमिर रात ।
परम पुरुष इकाराध ।।
मृत्युंजय, शरणागत
दृग् झपात, शिव पठात ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।२३।।
नर सींहा नन्त आद ।
हर ब्रह्मा, सन्त साध ।।
योगीश्वर इक ईश्वर,
ज्ञान-गात जगन्नाथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।२४।।
बुध वंदित बुद्ध मात्र ।
शमकर शिव रुद्र ख्यात ।।
पन्थ-नन्त प्रद विधान,
विधि विधात सुधि उदात ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।२५।।
हरण-हार जगत आर्त ।
करण-हार जगत सार्थ ।।
नमन जलधि-जन्म-तरण,
एक नाथ नेक पाथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।२६।।
ख्यात देव भाँत भाँत ।
दोष लिये चुन बलात् ।।
गुण लागे बचे रहे,
शेष बाद आप हाथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।२७।।
तर अशोक पात-पात ।
वर्ण स्वर्ण आप गात ।।
निकट मेघ प्रकट मिहिर,
तिमिर रात करण घात ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।२८।।
पीठ रतन भाँत-भाँत ।
कनक वरन तन सजात ।।
उदयाचल हर-अंधर,
किरण साथ तरणि प्रात ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।२९।।
तन कंचन अमर हाथ ।
चारु चार चॅंवर साठ ।।
झिर निर्झर तट सुमेर,
भा-सुहात झिलमिलात ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।३०।।
छतर चन्द्र किरण भाँत ।
रवि प्रताप करण-घात ।।
ढुल झालर रतन कथन,
भाँत-भाँत भुवन नाथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।३१।।
दिश् विदिश् गभीर नाद ।
सत्-संगत निधि प्रदात ।।
जय तेरी हो भेरी,
कहे नाथ, इक अनाथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।३२।।
सन्तानक पारिजात ।
वृष्टि पुष्प भॉंत भाँत ।।
मन पसन्द गंध मन्द,
मन्द वात वचन पाँत ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।३३।।
भा-उपमा एक साथ ।
कहाँ प्रभा वलय भाँत ।।
बिना ताप रवि प्रताप,
सौम्य भॉंत सोम ख्यात ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।३४।।
हाथ-हाथ स्वर्ण पाथ ।
हाथ फॉंद वर्ग पाथ ।
वचन-दिव्य हित भाषा,
सर्व साध, तुम अगाध ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।३५।।
जगमग नख चॉंद भॉंत ।
फुल्ल कमल स्वर्ण-पाद ।।
रचे कमल पल विहार,
देव राट्, देव साथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।३६।।
विभव यथा तुम विराट ।
लब न लेश और थात ।।
नखत दूर नूर यथा,
दूर रात, सूर हाथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।३७।।
मद कपोल जल प्रपात ।
सुन क्रोधित भ्रमर नाद ।।
गज ऐसा गुम, क्या तुम-
नाम मात्र किया साथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।३८।।
नखन कुम्भ-गज विघात ।
दी भू मण रक्त पाट ।।
सिंह ऐसा गुम, क्या तुम-
नाम मात्र किया साथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।३९।।
जग भक्षण मन मुराद ।
नभ प्रसाद प्रलय वात ।।
दावानल गुम, क्या तुम-
नाम मात्र किया साथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।४०।।
जहरीली दन्त पाँत ।
काला पिक कण्ठ भाँत ।।
नागराज गुम, क्या तुम-
नाम मात्र किया साथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।४१।।
सैन्य शत्रु नृप विराट ।
चीत कार मार काट ।।
कहर समर गुम, क्या तुम-
नाम मात्र किया साथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।४२।।
भालन गज तन विघात ।
तरे रक्त सरित् घाट ।।
शत्रु सैन्य गुम, क्या तुम-
नाम मात्र किया साथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।४३।।
वडवानल असंख्यात ।
लहर-भंवर जल किरात ।।
भय समुद्र गुम, क्या तुम-
नाम मात्र किया साथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।४४।।
देने यम खड़ा मात ।
पित्त, वात, कफुत्पात ।।
महा-रोग गुम, क्या तुम-
नाम मात्र किया साथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।४५।।
भूख प्यास दुख विषाद ।
बन्धन आकण्ठ-पाद ।।
भय कारा गुम, क्या तुम-
नाम मात्र किया साथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।४६।।
गज, सिंह, दव, अहि, फसाद ।
रुज, बंधन जल-अगाध ।।
ये वसु भय गुम, क्या तुम-
नाम मात्र किया साथ ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।४७।।
चुन गुण उद्यान ख्यात ।
माल पुष्प अखर हाथ ।।
मान तुंग कण्ठ धार,
पार नाथ-स्वर्ग बाद ।।
आदि नाथ, आदि नाथ, आदि नाथ ।।४८।।
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