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आरती

आरती-शीतलनाथ

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

शीतलनाथ
आरती

कर्पूरी बतिया
सोने की थरिया
पून शश उजाला
रतन दीप माला
शीतल प्रभु की आरतिया
मैं तो उतारूँ ‘रे
‘मैं’ को संहारूँ ‘रे

आरतिया पहली
रत्न झिर रुपहली
हुये अपने सपने मैय्या

आरतिया दूजी
किलकारी गूँजी
न्हवन सुमेर शचि साँवरिया

आरतिया तीजी
दृग् भीतर भींजी
हो चले सवार शिव नैय्या

आरतिया चौथी
अबुझ ज्ञान ज्योती
धुनि भव-गद औषध शर्तिया

आरतिया पाँची
पाई निध साँची
सहजो-निरा’कुल सुख रसिया

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