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आरती

आरती-आदिनाथ

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

आदिनाथ
आरती

थाल सजाओ ।
ज्योत जगाओ ।।
आदि ब्रह्म की आरती, उतारें आओ ।

सपना नाता ।
अपना माता ।।
बरसे रतन, रतन बरसाओ ।
ढ़ोल बजाओ ।
नाचो, गाओ ।।

गिरि मरु-नन्दा ।
स्वर्ण सुगन्धा ।।
सहस नयन से नयन बनाओ ।
ढ़ोल बजाओ ।
नाचो, गाओ ।।

सागर क्षीरम् ।
कच मण नीलम ।।
नाद आद-जय गगन पठाओ ।।
ढ़ोल बजाओ ।
नाचो, गाओ ।।

अर समशरण ।
केशर हिरणा ।।
दृग्-नम श्रद्धा सुमन चढ़‌ाओ ।
ढ़ोल बजाओ ।
नाचो, गाओ ।।

दिव से आगे ।
जा शिव लागे ।।
‘सहज-निराकुल शीश नवाओ ।
ढ़ोल बजाओ ।
नाचो,गाओ ।।
थाल सजाओ ।
ज्योत जगाओ ।।
आदि ब्रह्म की आरती, उतारें आओ ।

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