- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 1005
जैसे माँ को बच्चे प्यारे
प्यारे गुरु को बच्चे सारे
गुरु धरती के देव कहाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते ।।स्थापना।।
नीर क्षीर-सागर ले आते
आ पूजा गुरुदेव रचाते
जैसे माँ को बच्चे प्यारे
प्यारे गुरु को बच्चे सारे
गुरु धरती के देव कहाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते ।।जलं।।
दिश् दश चन्दन से महकाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते
जैसे माँ को बच्चे प्यारे
प्यारे गुरु को बच्चे सारे
गुरु धरती के देव कहाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते ।।चन्दनं।।
जोड़ शालि धाँ अक्षत नाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते
जैसे माँ को बच्चे प्यारे
प्यारे गुरु को बच्चे सारे
गुरु धरती के देव कहाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते ।।अक्षतं।।
पुष्प बाग नन्दन चुन लाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते
जैसे माँ को बच्चे प्यारे
प्यारे गुरु को बच्चे सारे
गुरु धरती के देव कहाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते ।।पुष्पं।।
व्यंजन मधुर रसीले भाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते
जैसे माँ को बच्चे प्यारे
प्यारे गुरु को बच्चे सारे
गुरु धरती के देव कहाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते ।।नैवेद्यं।।
घृत अठपहरी ज्योत जगाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते
जैसे माँ को बच्चे प्यारे
प्यारे गुरु को बच्चे सारे
गुरु धरती के देव कहाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते ।।दीपं।।
फूटे गंध सुगंध मँगाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते
जैसे माँ को बच्चे प्यारे
प्यारे गुरु को बच्चे सारे
गुरु धरती के देव कहाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते ।।धूपं।।
फल भेले मन-नयन लुभाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते
जैसे माँ को बच्चे प्यारे
प्यारे गुरु को बच्चे सारे
गुरु धरती के देव कहाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते ।।फलं।।
अष्ट द्रव्य से थाल सजाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते
जैसे माँ को बच्चे प्यारे
प्यारे गुरु को बच्चे सारे
गुरु धरती के देव कहाते
आ पूजा गुरुदेव रचाते ।।अर्घ्यं।।
=कीर्तन=
श्री मद् आचार्य देव, जय जयतु जय
सदा, सर्वदा, सदैव
श्री मद् आचार्य देव, जय जयतु जय
जय जयतु जय,
जय जय जयतु जय
श्री मद् आचार्य देव जय जयतु जय
जयमाला
कोई नहीं, कोई नहीं
मेरा सिवाय तुम, कोई नहीं
अय ! निगाह नम !
मेरा सिवाय तुम, कोई नहीं
कोई नहीं, कोई नहीं
मेरा सिवाय तुम, कोई नहीं
दूज, पूनम नजारे हैं
साथ चन्दा सितारे हैं
चाँदनी चाले मिला कदम
मेरा सिवाय तुम, कोई नहीं
अय ! निगाह नम !
मेरा सिवाय तुम, कोई नहीं
कोई नहीं, कोई नहीं
मेरा सिवाय तुम, कोई नहीं
गुलों के साथ खुशबू है
साथ कोयलिया कूहू है
साथ भँवरों के है सरगम
मेरा सिवाय तुम, कोई नहीं
अय ! निगाह नम !
मेरा सिवाय तुम, कोई नहीं
कोई नहीं, कोई नहीं
मेरा सिवाय तुम, कोई नहीं
डोर संग-संग पतंग है
संग सागर के तरंग है
रंग और तितली दोनों हमदम
मेरा सिवाय तुम, कोई नहीं
अय ! निगाह नम !
मेरा सिवाय तुम, कोई नहीं
कोई नहीं, कोई नहीं
मेरा सिवाय तुम, कोई नहीं
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
सिवा थारे
न दूँगा दस्तक मैं, जाके और द्वारे
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