- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 1002
दूर तेरी पूजा
लेते ही तेरा नाम
बनते हैं बिगड़े काम
मेरे भगवन् !
तुम्हे मेरे अनगिन प्रणाम ।।स्थापना।।
दूर पूरी पूजा
चढ़ाते ही जल क्षीर
बन चलती है तकदीर
दूर तेरी पूजा
लेते ही तेरा नाम
बनते हैं बिगड़े काम
मेरे भगवन् !
तुम्हे मेरे अनगिन प्रणाम ।।जलं।।
दूर पूरी पूजा
चढ़ाते ही घट गंध
जुड़ चाले निधि संबंध
दूर तेरी पूजा
लेते ही तेरा नाम
बनते हैं बिगड़े काम
मेरे भगवन् !
तुम्हे मेरे अनगिन प्रणाम ।।चन्दनं।।
दूर पूरी पूजा
चढ़ाते ही धाँ शाल
पग उलटे लौटाये काल
दूर तेरी पूजा
लेते ही तेरा नाम
बनते हैं बिगड़े काम
मेरे भगवन् !
तुम्हे मेरे अनगिन प्रणाम ।।अक्षतं।।
दूर पूरी पूजा
चढ़ाते ही गुल स्वर्ग
लग चले हाथ अपवर्ग
दूर तेरी पूजा
लेते ही तेरा नाम
बनते हैं बिगड़े काम
मेरे भगवन् !
तुम्हे मेरे अनगिन प्रणाम ।।पुष्पं।।
दूर पूरी पूजा
चढ़ाते ही नैवेद
जश झोली ऊरध-रेत
दूर तेरी पूजा
लेते ही तेरा नाम
बनते हैं बिगड़े काम
मेरे भगवन् !
तुम्हे मेरे अनगिन प्रणाम ।।नैवेद्यं।।
दूर पूरी पूजा
चढ़ाते ही घृत दीप
वजनी हो चाले सीप
दूर तेरी पूजा
लेते ही तेरा नाम
बनते हैं बिगड़े काम
मेरे भगवन् !
तुम्हे मेरे अनगिन प्रणाम ।।दीपं।।
दूर पूरी पूजा
चढ़ाते ही घट धूप
हिस्से में डूब अनूप
दूर तेरी पूजा
लेते ही तेरा नाम
बनते हैं बिगड़े काम
मेरे भगवन् !
तुम्हे मेरे अनगिन प्रणाम ।।धूपं।।
दूर पूरी पूजा
चढ़ाते ही फल नेक
रीझे झट हंस-विवेक
दूर तेरी पूजा
लेते ही तेरा नाम
बनते हैं बिगड़े काम
मेरे भगवन् !
तुम्हे मेरे अनगिन प्रणाम ।।फलं।।
दूर पूरी पूजा
चढ़ाते ही फल फूल
दिख पड़े जन्म-जल कूल
दूर तेरी पूजा
लेते ही तेरा नाम
बनते हैं बिगड़े काम
मेरे भगवन् !
तुम्हे मेरे अनगिन प्रणाम ।।अर्घ्यं।।
=कीर्तन=
तरण वैतरण हैं
गुरुदेव-विद्या-सागर
अकारण शरण हैं
गुरुदेव-विद्या-सागर
आशा की किरण हैं
गुरुदेव-विद्या-सागर
जयतु जयतु जय, जयतु जयतु जय
गुरुदेव-विद्या-सागर
जयमाला
गुरु जी देते ही रहते हैं
बच्चों को दुआएँ
माँ के जैसे
बच्चों की बलाएँ
सिर अपने लेते ही रहते हैं
माँ के जैसे
बच्चों को दुआएँ
गुरु जी देते ही रहते हैं
जाने, किस माटी से हैं बने
जुटे हैं, पूरे करने में औरों के सपने
जाने, किस माटी से हैं बने
माँ के जैसे
बच्चों को दुआएँ
गुरु जी देते ही रहते हैं
गुरु जी देते ही रहते हैं
बच्चों को दुआएँ
माँ के जैसे
बच्चों की बलाएँ
सिर अपने लेते ही रहते हैं
जाने, किए जमाने के
बाँट-बटखरे रखें
देते जाते हैं,
दिल खोल कर, बस देते जाते हैं,
न गिरवी रखें,
न जमा-खर्च लिखें
जाने, किए जमाने के
बाँट-बटखरे रखें
माँ के जैसे
बच्चों को दुआएँ
गुरु जी देते ही रहते हैं
गुरु जी देते ही रहते हैं
बच्चों को दुआएँ
माँ के जैसे
बच्चों की बलाएँ
सिर अपने लेते ही रहते हैं
जाने, मदरसे
किस फादर से पढ़े
बिना कुछ लिये,
देते बना काम बिगडे़
जाने, मदरसे
किस फादर से पढ़े
माँ के जैसे
बच्चों को दुआएँ
गुरु जी देते ही रहते हैं
गुरु जी देते ही रहते हैं
बच्चों को दुआएँ
माँ के जैसे
बच्चों की बलाएँ
सिर अपने लेते ही रहते हैं
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
और द्वीप के लगते तुम,
आँख थारी जो नम
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