- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 979
सबसे बड़े, गुरु जी मेरे
गुरु जी के पैर पड़े
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
शुभ शगुन विरले, गुरु जी मेरे
‘रे सबसे बड़े, गुरु जी मेरे ।।स्थापना।।
भेंटे दृग्-बिन्दु झिरे
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
सबसे बड़े, गुरु जी मेरे
गुरु जी के पैर पड़े
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
शुभ शगुन विरले, गुरु जी मेरे
‘रे सबसे बड़े, गुरु जी मेरे ।।जलं।।
भेंटे रज मलय घड़े
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
सबसे बड़े, गुरु जी मेरे
गुरु जी के पैर पड़े
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
शुभ शगुन विरले, गुरु जी मेरे
‘रे सबसे बड़े, गुरु जी मेरे ।।चन्दनं।।
भेंटे धाँ शाल निरे
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
सबसे बड़े, गुरु जी मेरे
गुरु जी के पैर पड़े
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
शुभ शगुन विरले, गुरु जी मेरे
‘रे सबसे बड़े, गुरु जी मेरे ।।अक्षतं।।
भेंटे गुल नन्द खिले
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
सबसे बड़े, गुरु जी मेरे
गुरु जी के पैर पड़े
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
शुभ शगुन विरले, गुरु जी मेरे
‘रे सबसे बड़े, गुरु जी मेरे ।।पुष्पं।।
भेंटे चरु चारु बड़े
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
सबसे बड़े, गुरु जी मेरे
गुरु जी के पैर पड़े
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
शुभ शगुन विरले, गुरु जी मेरे
‘रे सबसे बड़े, गुरु जी मेरे ।।नैवेद्यं।।
भेंटे घृत दीप जगे
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
सबसे बड़े, गुरु जी मेरे
गुरु जी के पैर पड़े
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
शुभ शगुन विरले, गुरु जी मेरे
‘रे सबसे बड़े, गुरु जी मेरे ।।दीपं।।
भेंटे घट सुगंध ‘रे
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
सबसे बड़े, गुरु जी मेरे
गुरु जी के पैर पड़े
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
शुभ शगुन विरले, गुरु जी मेरे
‘रे सबसे बड़े, गुरु जी मेरे ।।धूपं।।
भेंटे फल नन्द फरे
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
सबसे बड़े, गुरु जी मेरे
गुरु जी के पैर पड़े
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
शुभ शगुन विरले, गुरु जी मेरे
‘रे सबसे बड़े, गुरु जी मेरे ।।फलं।।
भेंटे दिव द्रव सबरे
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
सबसे बड़े, गुरु जी मेरे
गुरु जी के पैर पड़े
‘के बन चले, मेरे काम बिगड़े
शुभ शगुन विरले, गुरु जी मेरे
‘रे सबसे बड़े, गुरु जी मेरे ।।अर्घ्यं।।
=कीर्तन=
जयतु रिषिश्वर
जय सूरीश्वर
छोटे बाबा जय, जय छोटे बाबा
जय छोटे बाबा, जय छोटे बाबा
महा कवीश्वर
जय सूरीश्वर
छोटे बाबा जय, जय छोटे बाबा
जयमाला
अपना था ही क्या
ये नव-जीवन गुरु जी ने दिया
आ करते कुरबाँ
उन्हीं पे करते ये दिलो-जाँ
जनम-जनम खुद के लिये जिये
आ एक जनम जीते गुरु जी के लिये
आशा रख विश्वास
छुवा देंगें आकाश
चूँकि हैं, बागबाँ
आ करते कुरबाँ
उन्हीं पे करते ये दिलो-जाँ
अपना था ही क्या
ये नव-जीवन गुरु जी ने दिया
आ करते कुरबाँ
उन्हीं पे करते ये दिलो-जाँ
उलझ सपनों में
पछताये करके मनमानी
गुरु चरणों में
आ सौंप दें बाकी की जिन्दगानी
रख भरोसा
तल अबक पाला-पोसा
वहीं आगे भी पढ़ेंगे दुआ
आ करते कुरबाँ
उन्हीं पे करते ये दिलो-जाँ
अपना था ही क्या
ये नव-जीवन गुरु जी ने दिया
आ करते कुरबाँ
उन्हीं पे करते ये दिलो-जाँ
जनम-जनम खुद के लिये जिये
आ एक जनम जीते गुरु जी के लिये
आशा रख विश्वास
छुवा देंगें आकाश
चूँकि हैं, बागबाँ
आ करते कुरबाँ
उन्हीं पे करते ये दिलो-जाँ
अपना था ही क्या
ये नव-जीवन गुरु जी ने दिया
आ करते कुरबाँ
उन्हीं पे करते ये दिलो-जाँ
वैसे जनम ‘मानौ’ ईख काना
बलजोर भी रस निकलता ना
चलो धर्म धरती, देते बुवा,
आ करते कुरबाँ
उन्हीं पे करते ये दिलो-जाँ
अपना था ही क्या
ये नव-जीवन गुरु जी ने दिया
आ करते कुरबाँ
उन्हीं पे करते ये दिलो-जाँ
जनम-जनम खुद के लिये जिये
आ एक जनम जीते गुरु जी के लिये
आशा रख विश्वास
छुवा देंगें आकाश
चूँकि हैं, बागबाँ
आ करते कुरबाँ
उन्हीं पे करते ये दिलो-जाँ
अपना था ही क्या
ये नव-जीवन गुरु जी ने दिया
आ करते कुरबाँ
उन्हीं पे करते ये दिलो-जाँ
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
=हाईकू=
रुके चलते-चलते गुरु-पग
था पूछा मग
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