- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 916
मेरे अपनों में आते रहो
मेरे सपनों में आते रहो
मेरी आरजू यही
तुम यूँ ही
हमेशा मुस्कुराते रहो ।।स्थापना।।
मैं चढ़ाऊँ तुम्हें नीर
‘के लिखते रहो मेरी तकदीर
तुम यूँ ही
मेरे अपनों में आते रहो
मेरे सपनों में आते रहो
मेरी आरजू यही
तुम यूँ ही
हमेशा मुस्कुराते रहो ।।जलं।।
मैं चढ़ाऊँ तुम्हें चन्दन
के स्वीकारते रहो मेरे वन्दन
तुम यूँ ही
मेरे अपनों में आते रहो
मेरे सपनों में आते रहो
मेरी आरजू यही
तुम यूँ ही
हमेशा मुस्कुराते रहो ।।चन्दनं।।
मैं चढ़ाऊँ तुम्हें अक्षत
‘के राखते रहो मेरी लाज-पत
तुम यूँ ही
मेरे अपनों में आते रहो
मेरे सपनों में आते रहो
मेरी आरजू यही
तुम यूँ ही
हमेशा मुस्कुराते रहो ।।अक्षतं।।
मैं चढ़ाऊँ तुम्हें फूल
क्षमा करते रहो ‘के मेरी भूल
तुम यूँ ही
मेरे अपनों में आते रहो
मेरे सपनों में आते रहो
मेरी आरजू यही
तुम यूँ ही
हमेशा मुस्कुराते रहो ।।पुष्पं।।
मैं चढ़ाऊँ तुम्हें नेवज
‘के देते रहो अपनी चरण रज
तुम यूँ ही
मेरे अपनों में आते रहो
मेरे सपनों में आते रहो
मेरी आरजू यही
तुम यूँ ही
हमेशा मुस्कुराते रहो ।।नैवेद्यं।।
मैं चढ़ाऊँ तुम्हें दीपक
‘के दिखाते रहो अपनी झलक
तुम यूँ ही
मेरे अपनों में आते रहो
मेरे सपनों में आते रहो
मेरी आरजू यही
तुम यूँ ही
हमेशा मुस्कुराते रहो ।।दीपं।।
मैं चढ़ाऊँ तुम्हें अगर
‘के रक्खे रहो अपनी नज़र
तुम यूँ ही
मेरे अपनों में आते रहो
मेरे सपनों में आते रहो
मेरी आरजू यही
तुम यूँ ही
हमेशा मुस्कुराते रहो ।।धूपं।।
मैं चढ़ाऊँ तुम्हें श्री फल
‘के देते रहो अपने दो पल
तुम यूँ ही
मेरे अपनों में आते रहो
मेरे सपनों में आते रहो
मेरी आरजू यही
तुम यूँ ही
हमेशा मुस्कुराते रहो ।।फलं।।
मैं चढ़ाऊँ तुम्हें अरघ
‘के बढ़ाते रहो मेरी ओर पग
तुम यूँ ही
मेरे अपनों में आते रहो
मेरे सपनों में आते रहो
मेरी आरजू यही
तुम यूँ ही
हमेशा मुस्कुराते रहो ।।अर्घ्यं।।
हाईकू
सत्
होते गुरु जी
सारस्वत कवि
भास्वत रवि
जयमाला
खोजा
हर कहीं जा
मिला तेरे पास है
सबको जिसकी तलाश है
वो सकून
कब से जिसकी तलाश है
खोजा
हर कहीं जा
मिला तेरे पास है
तू मुझे अपने से जुदा
मत करना अय ! मेरे ख़ुदा
छोटी सी बस यही अरदास है.
सबको जिसकी तलाश है
खोजा
हर कहीं जा
मिला तेरे पास है
सबको जिसकी तलाश है
वो सकून
कब से जिसकी तलाश है
खोजा
हर कहीं जा
मिला तेरे पास है
भले पाया तुझे बड़ी मुश्किल से
अब दूर नहीं मैं अपनी मंजिल से
होता ऐसा अहसास है
सबको जिसकी तलाश है
खोजा
हर कहीं जा
मिला तेरे पास है
सबको जिसकी तलाश है
वो सकून
कब से जिसकी तलाश है
खोजा
हर कहीं जा
मिला तेरे पास है
तू मुझे अपने से जुदा
मत करना अय ! मेरे ख़ुदा
छोटी सी बस यही अरदास है.
सबको जिसकी तलाश है
खोजा
हर कहीं जा
मिला तेरे पास है
सबको जिसकी तलाश है
वो सकून
कब से जिसकी तलाश है
खोजा
हर कहीं जा
मिला तेरे पास है
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
हाईकू
गुरु जी सीने में जिसके
सफीने पार उसके
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