- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 783
बिन तेरे,
ये नयन मेरे,
ढ़ोलते रहते आँसू,
आ भी जा तू,
ए भगवन मेरे,
बिन तेरे,
है हुआ मुश्किल अब जीना,
तेरे बिना, तेरे बिना,
हुआ जियरा मेरा बेकाबू,
आ भी जा तू,
बिन तेरे,
ये नमन मेरे,
ढ़ोलते रहते आँसू,
आ भी जा तू ।।स्थापना।।
हाथों में जल लेके, मैं खड़ा हूँ कब से,
आया हूँ पास तेरे, मैं पहले रब से,
अन्तर्यामी ऐसा कैसा तू,
आ भी जा तू,
बिन तेरे,
ये नमन मेरे,
ढ़ोलते रहते आँसू,
आ भी जा तू ।।जलं।।
चन्दन परिमल लेके, मैं खड़ा हूँ कब से,
आया हूँ पास तेरे, मैं पहले रब से,
अन्तर्यामी ऐसा कैसा तू,
आ भी जा तू,
बिन तेरे,
ये नमन मेरे,
ढ़ोलते रहते आँसू,
आ भी जा तू ।।चन्दनं।।
शाल धाँ धवल लेके, मैं खड़ा हूँ कब से,
आया हूँ पास तेरे, मैं पहले रब से,
अन्तर्यामी ऐसा कैसा तू,
आ भी जा तू,
बिन तेरे,
ये नमन मेरे,
ढ़ोलते रहते आँसू,
आ भी जा तू ।।अक्षतं।।
सहस दल कमल लेके, मैं खड़ा हूँ कब से,
आया हूँ पास तेरे, मैं पहले रब से,
अन्तर्यामी ऐसा कैसा तू,
आ भी जा तू,
बिन तेरे,
ये नमन मेरे,
ढ़ोलते रहते आँसू,
आ भी जा तू ।।पुष्पं।।
चारु चरु नवल लेके, मैं खड़ा हूँ कब से,
आया हूँ पास तेरे, मैं पहले रब से,
अन्तर्यामी ऐसा कैसा तू,
आ भी जा तू,
बिन तेरे,
ये नमन मेरे,
ढ़ोलते रहते आँसू,
आ भी जा तू ।।नैवेद्यं।।
दीप लौं अचल लेके, मैं खड़ा हूँ कब से,
आया हूँ पास तेरे, मैं पहले रब से,
अन्तर्यामी ऐसा कैसा तू,
आ भी जा तू,
बिन तेरे,
ये नमन मेरे,
ढ़ोलते रहते आँसू,
आ भी जा तू ।।दीपं।।
गंध दश चपल लेके, मैं खड़ा हूँ कब से,
आया हूँ पास तेरे, मैं पहले रब से,
अन्तर्यामी ऐसा कैसा तू,
आ भी जा तू,
बिन तेरे,
ये नमन मेरे,
ढ़ोलते रहते आँसू,
आ भी जा तू ।।धूपं।।
परात श्री फल लेके, मैं खड़ा हूँ कब से,
आया हूँ पास तेरे, मैं पहले रब से,
अन्तर्यामी ऐसा कैसा तू,
आ भी जा तू,
बिन तेरे,
ये नमन मेरे,
ढ़ोलते रहते आँसू,
आ भी जा तू ।।फलं।।
अरघ दृग्-सजल लेके, मैं खड़ा हूँ कब से,
आया हूँ पास तेरे, मैं पहले रब से,
अन्तर्यामी ऐसा कैसा तू,
आ भी जा तू,
बिन तेरे,
ये नमन मेरे,
ढ़ोलते रहते आँसू,
आ भी जा तू ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
मिथ्यातम के खींचने में कान,
हैं गुरु जी भान
जयमाला
सिर पर हाथ चाहूँ
तुम्हारा साथ चाहूँ
क्या मिल पायेगा ?
क्या दिल पायेगा, अनछुई खुशी
‘के नई जिन्दगी
दे बता अनकहे ही सही,
जर्रा सा मुस्कुरा के,
इक नजर अपनी उठा के,
आशीर्वाद चाहूँ,
सिर पर हाथ चाहूँ
तुम्हारा साथ चाहूँ
क्या मिल पायेगा ?
क्या दिल पायेगा, अनछुई खुशी
‘के नई जिन्दगी
दे बता अनकहे ही सही,
दे गन्धोदक फिर के,
और रोशनी,
आँसु-ए-खुशी,
आँखों में हमारी भर के
दे गन्धोदक फिर के,
अय ! मेरे मन के देवता,
दे बता अनकहे ही सही,
करना मन की बात चाहूँ,
इक मुलाकात चाहूँ,
आशीर्वाद चाहूँ,
सिर पर हाथ चाहूँ
तुम्हारा साथ चाहूँ
क्या मिल पायेगा ?
क्या दिल पायेगा, अनछुई खुशी
‘के नई जिन्दगी
दे बता अनकहे ही सही,
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
हाईकू
शीतल जैसे माटी घड़े,
गुरु
‘जी’ के होते बड़े
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