- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 656
हाईकू
विद्यासागर,
मीठे सागर,
लो, आ…भर गागर ।।स्थापना।।
दृग्-हर !
आप श्री चरणों में भेंटूँ,
दृग्-समन्दर ।।जलं।।
भौ-तरी !
आप श्री चरणों में भेंटूँ,
गंध-गगरी ।।चन्दनं।।
कृपाल !
आप श्री चरणों में भेंटूँ,
थाल धाँ शाल ।।अक्षतं।।
सुरम !
आप श्री चरणों में भेंटूँ,
कुसुम-द्रुम ।।पुष्पं।।
नीरज !
आप श्री चरणों में भेंटूँ,
थाल नेवज ।।नैवेद्यं।।
शरण !
आप श्री चरणों में भेंटूँ,
दीप रतन ।।दीपं।।
माहन !
आप श्री चरणों में भेंटूँ,
सुगंध अन ।।धूपं।।
करुण !
आप श्री चरणों में भेंटूँ,
फल तरुन ।।फलं।।
अनघ !
आप श्री चरणों में भेंटूँ,
दिव्य-अरघ ।।अर्घ्यं।।
हाईकू
ताँक में ताँका-झाँकी ‘कि तू स्वीकारे,
हा ! ‘रे पे हारे
जयमाला
है और कौन मेरा, जो सुनाऊँ उसको ।
तुम्हें न सुनाऊँ तो सुनाऊँ किसको ।
दुखड़ा अपना
‘जि गुरु जी देखा सपना,
बतला दो मुझको ।
तुम्हें न सुनाऊँ तो सुनाऊँ किसको ।
है और कौन मेरा, जो सुनाऊँ उसको ।
तुम्हें न सुनाऊँ तो सुनाऊँ किसको ।
करुणा-निधान हो
तुम्ही तो यहाँ एक
शरणा प्रधान हो
तुम्हें न सुनाऊँ तो सुनाऊँ किसको ।
है और कौन मेरा, जो सुनाऊँ उसको ।
तुम्हें न सुनाऊँ तो सुनाऊँ किसको ।
दुखड़ा अपना
‘जि गुरु जी देखा सपना,
बतला दो मुझको ।
लुटाते प्रेम हो
तुम्हीं तो यहाँ एक
भिंटाते क्षेम हो
तुम्हें न सुनाऊँ तो सुनाऊँ किसको ।
है और कौन मेरा, जो सुनाऊँ उसको ।
तुम्हें न सुनाऊँ तो सुनाऊँ किसको ।
दुखड़ा अपना
‘जि गुरु जी देखा सपना,
बतला दो मुझको ।
भक्त वत्सल हो
तुम्ही तो यहाँ एक
रिक्त छल-बल हो
तुम्हें न सुनाऊँ तो सुनाऊँ किसको ।
है और कौन मेरा, जो सुनाऊँ उसको ।
तुम्हें न सुनाऊँ तो सुनाऊँ किसको ।
दुखड़ा अपना
‘जि गुरु जी देखा सपना,
बतला दो मुझको ।
तुम्हें न सुनाऊँ तो सुनाऊँ किसको ।
है और कौन मेरा, जो सुनाऊँ उसको ।
तुम्हें न सुनाऊँ तो सुनाऊँ किसको ।
।।जयमाला पूर्णार्घं ।।
हाईकू
बना न रहूँ ‘धी-शत्रु’
‘कि कर दो कृपा श्री गुरु
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