loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 417

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
    पूजन क्रंमाक 417

    =हाईकू=
    कर दें काम मन का,
    ‘गुरु’
    न लें नाम धन का ।।स्थापना।।

    मेंटने आये,
    पाप-लकीर, नीर भेंटने लाये ।।जलं।।

    मेंटने आये,
    पाप-मन, चन्दन भेंटने लाये ।।चन्दनं।।

    मेंटने आये,
    पाप-लत, अक्षत भेंटने लाये ।।अक्षतं।।

    मेंटने आये,
    पाप-तम, कुसुम भेंटने लाये ।।पुष्पं।।

    मेंटने आये,
    पाप-पन, व्यञ्जन भेंटने लाये ।।नैवेद्यं।।

    मेंटने आये,
    पाप धी-धिक्, दीपक भेंटने लाये ।।दीपं।।

    मेंटने आये,
    पाप-पंक, सुगन्ध भेंटने लाये ।।धूपं।।

    मेंटने आये,
    पाप-पल, श्रीफल भेंटने लाये ।।फलं।।

    मेंटने आये,
    पाप-मग, अरघ भेंटने लाये ।।अर्घ्यं।।

    =हाईकू=
    गुरु का दिल,
    ‘होता वैसा ही’
    जैसा कि माँ का दिल

    ।। जयमाला।।
    बिना झपाये पलक
    मैं तेरी पाता रहूँ झलक
    यूँ ही हमेशा
    कर भी दो कुछ ऐसा
    ओ ! गुरु सा
    मेरे गुरु सा
    कर भी दो कुछ ऐसा

    लगा के नयन आँसुओं की धार
    तेरे चरण-कमल, ‘कि पाऊँ मैं पखार
    जिनके आगे फीका है रुपया-पैसा
    ओ ! गुरु सा
    मेरे गुरु सा
    कर भी दो कुछ ऐसा

    हाथों का बना अपने नारियल
    तेरी सेवा में खड़ा रहूँ मैं पल-पल
    न सही और कर दो इतना सा अहसाँ
    ओ ! गुरु सा
    मेरे गुरु सा
    कर भी दो कुछ ऐसा

    बना ‘मनके’ दिल धड़कन मैं
    लम्हें जीवन के गुजारूँ तेरे सुमरण में
    मैं मछली, है तू पानी जैसा
    ओ ! गुरु सा
    मेरे गुरु सा
    कर भी दो कुछ ऐसा
    बिना झपाये पलक
    मैं तेरी पाता रहूँ झलक
    यूँ ही हमेशा
    ।।जयमाला पूर्णार्घं।।

    =हाईकू=
    दो भूला-भूल,
    अपने चरणों की लो बना धूल

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point