परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 339*हाईकू*
पड़गाहन ‘आप’ आँगन चाहता,
क्या ‘दे-बता’ रास्ता ।।स्थापना।।दे दे तालियाँ,
‘करूँ मैं समर्पित’ जल झारियाँ ।।जलं।।दे दे तालियाँ,
‘करूँ मैं समर्पित’ गंध प्यालियाँ ।।चन्दनं।।दे दे तालियाँ,
‘करूँ मैं समर्पित’ धाँ पिटारियाँ ।।अक्षतं।।दे दे तालियाँ,
‘करूँ मैं समर्पित’ पुष्प डालियाँ ।।पुष्पं।।दे दे तालियाँ,
‘करूँ मैं समर्पित’ ये इमरतियां ।। नैवेद्यं।।दे दे तालियाँ,
‘करूँ मैं समर्पित’ दीप आलियाँ ।।दीपं।।दे दे तालियाँ,
‘करूँ मैं समर्पित’ धूप दानियाँ ।।धूपं।।दे दे तालियाँ,
‘करूँ मैं समर्पित’ ये सुपाड़ियाँ ।।फलं।।दे दे तालियाँ,
‘करूँ मैं समर्पित’ द्रव्य थालियाँ ।।अर्घं।।हाईकू
नैन ये तुम्हें,
हैं खोजें यहाँ वहाँ
हो तुम कहाँजयमाला
क्या सुना आपने, मैंने तो नहीं सुना ।
हो किसी को चुना आपने,
और किसी को नहीं चुना ।गोरी गोरी राजा की छोरी
न सिर्फ तारी चन्दन ही
सीना जोरी, धंधा ही चोरी
है लाज राखी अंजन भी
क्या सुना आपने,
या फिर कहूँ मैं पुन:
मैंने तो नहीं सुना ।
हो किसी को चुना आपने,
और किसी को नहीं चुना ।ये काम माँ को आता ही नहीं
बन्दर-बाँट से आपका कोई नाता ही नहीं
सुमन ने कभी कोई जाला बुना
क्या सुना आपने, मैंने तो नहीं सुना ।
हो किसी को चुना आपने,
और किसी को नहीं चुना ।धूप मिट्टी का घर पा ही रहा उतनी
बेश-कीमती शीशे का महल जितनी
ये काम माँ को आता ही नहीं
अँधर-हाट से आपका कोई नाता ही नहीं
भ्रमर ने कभी हाथ मल सर धुना ।
सुमन ने कभी कोई जाला बुना
क्या सुना आपने, मैंने तो नहीं सुना ।
हो किसी को चुना आपने,
और किसी को नहीं चुना ।
।।जयमाला पूर्णार्घं।।=हाईकू=
भक्त सच्चे,
त्यों गुरु के लगे-पीछे,
ज्यों माँ के बच्चे
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