loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 263

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 

परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 263

“हाईकू”
‘बेजुबां दिल
‘नुति शाने हिन्दुस्ताँ’
जुवां मंजिल’ ।।स्थापना ।।

ली स्वीकार, जो जल झारी,
पतंग उड़ी हमारी ।।जलं।।

ली स्वीकार, जो चन्दन झारी,
धूल-चन्दन म्हारी ।।चन्दनं।।

ली स्वीकार, जो अक्षत थाली,
मोती धान हमारी ।।अक्षतं।।

ली स्वीकार, जो पुष्प पिटारी,
चाँदी सोना हमारी ।।पुष्पं।।

ली स्वीकार, जो चरु घी वाली,
जागी किस्मत म्हारी ।।नैवेद्यं।।

ली स्वीकार, जो दीपाली,
टके तारे चूनर म्हारी ।।दीपं।।

ली स्वीकार, जो धूप निराली,
मनी दीवाली म्हारी ।।धूपं।।

ली स्वीकार, जो फल थाली,
दुनिया हुई हमारी ।।फलं।।

करूँ, अर्घ ही न अर्पण,
अपना भी समर्पण ।।अर्घ्यं।।

==हाईकू==
‘पड़ी क्या दृष्टि तेरी,
गुरु जी ! खुली लॉटरी मेरी’

।। जयमाला ।।

गुरु वरद पुत्र मां शारद ।
कीजे आ-रति निःस्वारथ ।।

चलते रस्ते से लग के ।
पड़ते प्रपंच ना जग के ।।
भज ज्ञान दिवस बढ़ चाला,
कर ध्यान चली निश जग के ।।
भारत गौरव प्रतिभारत ।
गुरु वरद पुत्र मां शारद ।
कीजे आ-रति निःस्वारथ ।।१।।

कीनी किनार वैशाखी ।
पी लिया क्रोध, गम चाखी ।।
वश में रख आँख हमेशा,
पुरु साख, नाक-पुरु राखी ।।
अभिजात मात लाला वत् ।
गुरु वरद पुत्र मां शारद ।
कीजे आ-रति निःस्वारथ ।।२।।

रखते हैं निस्पृह नेहा ।
रह कर भी देह विदेहा ।।
शिव राधा ब्याह तृषातुर,
खुद जैसे निःसंदेहा ।।
सुख सहज निरा-कुल चाहत ।
गुरु वरद पुत्र मां शारद ।
कीजे आ-रति निःस्वारथ ।।३।।

।। जयमाला पूर्णार्घ्यं ।।

==हाईकू==
‘दे माफी दो, न एक
हुईं भूल से, भूलें अनेक’

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point