loader image
Close
  • Home
  • About
  • Contact
  • Home
  • About
  • Contact
Facebook Instagram

ध्यान संधान गीता

ध्यान संधान गीता-; 51से56

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
51

(५१)
बाहर
दन्द-फन्द, द्वन्द है
कोहरा है, धुन्ध है
कर्मों का बन्ध है
अन्दर,
आनन्द ही आनन्द है

सोने सुगन्ध है
परिणति सन्त है
भावी भगवन्त है
शान्ति अनन्त है
अन्दर,
आनन्द ही आनन्द है

सार सभी ग्रन्थ है
मोक्ष का पन्थ है
भावी भगवन्त है
शान्ति अनन्त है
अन्दर,
आनन्द ही आनन्द है

(५२)
जल से भिन्न कमल हूँ मैं
दर्पन सा निर्मल हूँ मैं

भले कीचड़ में आ पड़ा
मैं हूँ सोना खरा
अनन्त गुण से भरा
जल से भिन्न कमल हूँ मैं
दर्पन सा निर्मल हूँ मैं

भले भेड़ों में आ खड़ा
मैं हूँ शेरनी लला
मैं हूँ शेर-बब्बरा
भले भेड़ों में आ खड़ा
जल से भिन्न कमल हूँ मैं
दर्पन सा निर्मल हूँ मैं

(५३)
पलकें पल के लिये खोलो
और भीतर हो लो
कितने भीतर,
कितने भीतर, कितने भीतर
तो, और भीतर
और भीतर, और भीतर
जा रहा है गोताखोर
देखो, देखो
वो आ रहा है मोती बटोर
बैठ किनारे,
‘रे न आंखों के मोती ढ़ोलो
और भीतर हो लो

जा रही है कुदाल
देखो, देखो
वो आ रही है मीठे पानी की धार
चलो उठो,
बढ़ो, देख अपनी शक्ति तो लो
और भीतर हो लो

(५४)

दे करके मोती
वो चिन्मय ज्योती
न खरीद सकते उसे
पैसों से,
न खरीद सकते जिसे
वो चीज हैं अन्दर है
है जो सत्य शिव सुन्दर

‘रे लहरता है अन्दर
आनन्द का समन्दर
देकर सारा धन
घन पिण्ड वो चेतन
न खरीद सकते उसे
पैसों से,

अन्दर है जादू मन्तर
दुख हो जाता छू-मन्तर
आ उतरें गहरे
मिलने उससे
पैसों से,
न खरीद सकते जिसे 

(५५)
ध्यान करना
आसान बड़ा
बस आशा न बढ़ा
‘रे आ शान बड़ा

आती जाती श्वास देखो
बात मन में जो चुभ रही
भले किसी ने भी हो कही
निकाल वो फांस फेंको
आती जाती श्वास देखो

ध्यान करना
आसान बड़ा
बस आशा न बढ़ा
‘रे आ शान बड़ा

सुनो धक-धक करती धड़कन
अन्तर् मन में जो पल रही है
भले किसी से भी चल रही
निकाल वो फेंको अनबन
सुनो धक-धक करती धड़कन

(५६)
चलो कुछ भीतर चालें
उतर कुछ गहरे चालें

आ भीतर देश चालें
राग व द्वेष नहीं
जहां संक्लेश नहीं
मॉं जिनवाणी का
बस उपदेश यही
कुछ हटके आनन्द मना लें
‘रे चलो उत्सव मना लें

जहां काम, क्रोध ना
माया, मान, लोभ ना
माँ जिनवाणी की
बस यही देशना
कुछ हटके रंग जमा लें
‘रे चलो उत्सव मना लें

न गम से आंखें नम
जहाँ न भ्रम, न मिथ्यातम
मॉं जिनवाणी का
संदेश यही आतम
मुक्ति का रस्ता बना लें
‘रे चलो उत्सव मना लें

Title

content…..

Sharing is caring!

  • Facebook
  • Twitter
  • LinkedIn
  • Email
  • Print

Leave A Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

*


© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point

© Copyright 2021 . Design & Deployment by : Coder Point