- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 971
रंग केशरिया लगा दो
अपने रँग में रँगा लो
गौरवम् सदलगा ओ !
अपने रँग में रँगा लो
रंग केशरिया लगा दो
अपने रँग में रँगा लो
गौरवम् सदलगा ओ ।।स्थापना।।
लाये जल गागर
सपना शिव-नागर
अपने रँग में रँगा लो
रंग केशरिया लगा दो
अपने रँग में रँगा लो
गौरवम् सदलगा ओ ।।जलं।।
लाये गंध मलय
सपना सदय हृदय
अपने रँग में रँगा लो
रंग केशरिया लगा दो
अपने रँग में रँगा लो
गौरवम् सदलगा ओ ।।चन्दनं।।
लाये धाँ शालिक
सपना अपना इक
अपने रँग में रँगा लो
रंग केशरिया लगा दो
अपने रँग में रँगा लो
गौरवम् सदलगा ओ ।।अक्षतं।।
लाये दिव्य कुसुम
सपना विश्व कुटुम
अपने रँग में रँगा लो
रंग केशरिया लगा दो
अपने रँग में रँगा लो
गौरवम् सदलगा ओ ।।पुष्पं।।
लाये घृत व्यंजन
सपना मद भंजन
अपने रँग में रँगा लो
रंग केशरिया लगा दो
अपने रँग में रँगा लो
गौरवम् सदलगा ओ ।।नैवेद्यं।।
लाये दीवा घी
सपना दीवाली
अपने रँग में रँगा लो
रंग केशरिया लगा दो
अपने रँग में रँगा लो
गौरवम् सदलगा ओ ।।दीपं।।
लाये धूप अगर
सपना नूप डगर
अपने रँग में रँगा लो
रंग केशरिया लगा दो
अपने रँग में रँगा लो
गौरवम् सदलगा ओ ।।धूपं।।
लाये प्राकृत फल
सपना जागृति पल
अपने रँग में रँगा लो
रंग केशरिया लगा दो
अपने रँग में रँगा लो
गौरवम् सदलगा ओ ।।फलं।।
लाये गुल तण्डुल
सपना तुम गुरुकुल
अपने रँग में रँगा लो
रंग केशरिया लगा दो
अपने रँग में रँगा लो
गौरवम् सदलगा ओ ।।अर्घ्यं।।
कीर्तन
जयतु जयतु गुरुदेव
जयतु जयतु गुरुदेव
जय गुरुदेव
जय जय गुरुदेव
जयतु जयतु गुरुदेव
जयतु जयतु गुरुदेव
जयमाला
मंगलम्, मंगलम्
गुरुवरम्, मंगलम्
वन्दनम्, वन्दनम्
गुरुवरम्, वन्दनम्
तम हरण
सम शरण
गुरु प्रथम, मंगलम्
मंगलम्, मंगलम्
गुरुवरम्, मंगलम्
वन्दनम्, वन्दनम्
गुरुवरम्, वन्दनम्
अवतरण
शिव सदन
गुरु चरम, मंगलम्
मंगलम्, मंगलम्
गुरुवरम्, मंगलम्
वन्दनम्, वन्दनम्
गुरुवरम्, वन्दनम्
आभरण
आचरण
गुरु परम, मंगलम्
मंगलम्, मंगलम्
गुरुवरम्, मंगलम्
वन्दनम्, वन्दनम्
गुरुवरम्, वन्दनम्
नम नयन
अम वयन
गुरु अगम, मंगलम्
तन नगन
मन सुमन
गुरुतरम्, मंगलम्
मंगलम्, मंगलम्
गुरुवरम्, मंगलम्
वन्दनम्, वन्दनम्
गुरुवरम्, वन्दनम्
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
हाईकू
उठा नज़र विघटा अंधर दें
वन्दन उन्हें
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