- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 968
जैसे राखें वैसे रहना है
गुरु भक्ति धारा में वहना है
जय विद्या, जय विद्या कहना है
गुरु भक्ति धारा में वहना है ।।स्थापना।।
आना गुरु चरणों में रोजाना
रोज भाँति जल मण-गगरी लाना
और चढ़ाना, बन के दीवाना
आना गुरु चरणों में रोजाना
गुरु भक्ति धारा में वहना है
जैसे राखें वैसे रहना है
जय विद्या, जय विद्या कहना है
गुरु भक्ति धारा में वहना है ।।जलं।।
आना गुरु चरणों में रोजाना
रोज भाँति चन्दन गगरी लाना
और चढ़ाना, बन के दीवाना
आना गुरु चरणों में रोजाना
गुरु भक्ति धारा में वहना है
जैसे राखें वैसे रहना है
जय विद्या, जय विद्या कहना है
गुरु भक्ति धारा में वहना है ।।चन्दनं।।
आना गुरु चरणों में रोजाना
रोज भाँति अक्षत विरली लाना
और चढ़ाना, बन के दीवाना
आना गुरु चरणों में रोजाना
गुरु भक्ति धारा में वहना है
जैसे राखें वैसे रहना है
जय विद्या, जय विद्या कहना है
गुरु भक्ति धारा में वहना है ।।अक्षतं।।
आना गुरु चरणों में रोजाना
रोज भाँति दिव पुष्प लरी लाना
और चढ़ाना, बन के दीवाना
आना गुरु चरणों में रोजाना
गुरु भक्ति धारा में वहना है
जैसे राखें वैसे रहना है
जय विद्या, जय विद्या कहना है
गुरु भक्ति धारा में वहना है ।।पुष्पं।।
आना गुरु चरणों में रोजाना
रोज भाँति व्यंजन मिसरी लाना
और चढ़ाना, बन के दीवाना
आना गुरु चरणों में रोजाना
गुरु भक्ति धारा में वहना है
जैसे राखें वैसे रहना है
जय विद्या, जय विद्या कहना है
गुरु भक्ति धारा में वहना है ।।नैवेद्यं।।
आना गुरु चरणों में रोजाना
रोज भाँति लौं अबुझ निरी लाना
और चढ़ाना, बन के दीवाना
आना गुरु चरणों में रोजाना
गुरु भक्ति धारा में वहना है
जैसे राखें वैसे रहना है
जय विद्या, जय विद्या कहना है
गुरु भक्ति धारा में वहना है ।।दीपं।।
आना गुरु चरणों में रोजाना
रोज भाँति चन्दन चूरी लाना
और चढ़ाना, बन के दीवाना
आना गुरु चरणों में रोजाना
गुरु भक्ति धारा में वहना है
जैसे राखें वैसे रहना है
जय विद्या, जय विद्या कहना है
गुरु भक्ति धारा में वहना है ।।धूपं।।
आना गुरु चरणों में रोजाना
रोज भाँति फल स्वर्ग पूरी लाना
और चढ़ाना, बन के दीवाना
आना गुरु चरणों में रोजाना
गुरु भक्ति धारा में वहना है
जैसे राखें वैसे रहना है
जय विद्या, जय विद्या कहना है
गुरु भक्ति धारा में वहना है ।।फलं।।
आना गुरु चरणों में रोजाना
रोज भाँति दिव द्रव शबरी लाना
और चढ़ाना, बन के दीवाना
आना गुरु चरणों में रोजाना
गुरु भक्ति धारा में वहना है
जैसे राखें वैसे रहना है
जय विद्या, जय विद्या कहना है
गुरु भक्ति धारा में वहना है ।।अर्घ्यं।।
कीर्तन
जयतु जय विद्या बोलो
जय जयतु जय विद्या बोलो
जय विद्या, जय विद्या बोलो
जयतु जय विद्या बोलो
जय जयतु जय विद्या बोलो
जयमाला
गुरु भक्तों में आते हम
आ संकल्प उठाते हम
हवा पश्चिमी जाँ लेवा
कौन करेगा गो-सेवा
हम करेंगे
हम करेंगे
हम करेंगे
बूढ़ी हो चाली है जो
उसे कत्ल-खाने भेजो
पट्टी पढ़ा रहा है को
अप्प दीव प्रकटाते हम
आ संकल्प उठाते हम
गुरु भक्तों में आते हम
आ संकल्प उठाते हम
हवा पश्चिमी जाँ लेवा
कौन करेगा गो-सेवा
हम करेंगे
हम करेंगे
हम करेंगे
पेट काट निज बछड़े का
गैर-भाग्य खींची रेखा
हमने किन्तु सार्थ देखा
चश्मा नाक हटाते हम
गुरु भक्तों में आते हम
आ संकल्प उठाते हम
आ संकल्प उठाते हम
हवा पश्चिमी जाँ लेवा
कौन करेगा गो-सेवा
हम करेंगे
हम करेंगे
हम करेंगे
घास और क्या खाती है
मीठा दूध पिलाती है
तभी कृष्ण को भाती है
गोकुल विश्व बनाते हम
गुरु भक्तों में आते हम
आ संकल्प उठाते हम
आ संकल्प उठाते हम
हवा पश्चिमी जाँ लेवा
कौन करेगा गो-सेवा
हम करेंगे
हम करेंगे
हम करेंगे
आ बूचड़-खाने देखो
मरती तड़फ-तड़फ के गो
दोगे क्या जवाब उसको
बन कर अमर न आते हम
गुरु भक्तों में आते हम
आ संकल्प उठाते हम
आ संकल्प उठाते हम
हवा पश्चिमी जाँ लेवा
कौन करेगा गो-सेवा
हम करेंगे
हम करेंगे
हम करेंगे
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
हाईकू
गुरु जी कहो या करुणा
अन्तर रत्ती भर ना
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