- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 966
लेखनी गुरु कुन्द-कुन्द दूसरे नाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
दरद-मन्द हैं
दया-वन्त हैं
शिरोमण सन्त हैं
जिनकी भींगी सुमरण से हर शाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
लेखनी गुरु कुन्द-कुन्द दूसरे नाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
।।स्थापना।।
श्री गुरु चरण शरण आओ
आओ जल गगरी लाओ
सुनते हैं बन चालें बिगड़े काम
करते ही गुरु विद्या सिन्ध प्रणाम
दरद-मन्द हैं
दया-वन्त हैं
शिरोमण सन्त हैं
जिनकी भींगी सुमरण से हर शाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
लेखनी गुरु कुन्द-कुन्द दूसरे नाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
।।जलं।।
श्री गुरु चरण शरण आओ
चन्दन मलय-गिरी लाओ
सुनते हैं बन चालें बिगड़े काम
करते ही गुरु विद्या सिन्ध प्रणाम
दरद-मन्द हैं
दया-वन्त हैं
शिरोमण सन्त हैं
जिनकी भींगी सुमरण से हर शाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
लेखनी गुरु कुन्द-कुन्द दूसरे नाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
।।चन्दनं।।
श्री गुरु चरण शरण आओ
अक्षत धाँ विरली लाओ
सुनते हैं बन चालें बिगड़े काम
करते ही गुरु विद्या सिन्ध प्रणाम
दरद-मन्द हैं
दया-वन्त हैं
शिरोमण सन्त हैं
जिनकी भींगी सुमरण से हर शाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
लेखनी गुरु कुन्द-कुन्द दूसरे नाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
।।अक्षतं।।
श्री गुरु चरण शरण आओ
नन्दन पुष्प लरी लाओ
सुनते हैं बन चालें बिगड़े काम
करते ही गुरु विद्या सिन्ध प्रणाम
दरद-मन्द हैं
दया-वन्त हैं
शिरोमण सन्त हैं
जिनकी भींगी सुमरण से हर शाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
लेखनी गुरु कुन्द-कुन्द दूसरे नाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
।।पुष्पं।।
श्री गुरु चरण शरण आओ
चरु घृत अठ-पहरी लाओ
सुनते हैं बन चालें बिगड़े काम
करते ही गुरु विद्या सिन्ध प्रणाम
दरद-मन्द हैं
दया-वन्त हैं
शिरोमण सन्त हैं
जिनकी भींगी सुमरण से हर शाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
लेखनी गुरु कुन्द-कुन्द दूसरे नाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
।।नैवेद्यं।।
श्री गुरु चरण शरण आओ
माला दीपक घी लाओ
सुनते हैं बन चालें बिगड़े काम
करते ही गुरु विद्या सिन्ध प्रणाम
दरद-मन्द हैं
दया-वन्त हैं
शिरोमण सन्त हैं
जिनकी भींगी सुमरण से हर शाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
लेखनी गुरु कुन्द-कुन्द दूसरे नाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
।।दीपं।।
श्री गुरु चरण शरण आओ
अर चन्दन चूरी लाओ
सुनते हैं बन चालें बिगड़े काम
करते ही गुरु विद्या सिन्ध प्रणाम
दरद-मन्द हैं
दया-वन्त हैं
शिरोमण सन्त हैं
जिनकी भींगी सुमरण से हर शाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
लेखनी गुरु कुन्द-कुन्द दूसरे नाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
।।धूपं।।
श्री गुरु चरण शरण आओ
ऋत ऋत फल मिसरी लाओ
सुनते हैं बन चालें बिगड़े काम
करते ही गुरु विद्या सिन्ध प्रणाम
दरद-मन्द हैं
दया-वन्त हैं
शिरोमण सन्त हैं
जिनकी भींगी सुमरण से हर शाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
लेखनी गुरु कुन्द-कुन्द दूसरे नाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
।।फलं।।
श्री गुरु चरण शरण आओ
जल-फल द्रव शबरी लाओ
सुनते हैं बन चालें बिगड़े काम
करते ही गुरु विद्या सिन्ध प्रणाम
दरद-मन्द हैं
दया-वन्त हैं
शिरोमण सन्त हैं
जिनकी भींगी सुमरण से हर शाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
लेखनी गुरु कुन्द-कुन्द दूसरे नाम
आचार्य श्री विद्या सिन्ध प्रणाम
।।अर्घ्यं।।
=कीर्तन=
बोल मन,
जयतु जयतु जय, सन्त शिरोमण
बोल मन
जय, जयतु जयतु जय, सन्त शिरोमण
…जयमाला…
जर्रा-सी रक्खो तो सबर
है उसको सबकी खबर
फीके बेकरार पल
मीठा इंतजार फल
न सिर्फ मेरा कहना
यही तो मीरा कहना
भले देर हो जाई,
नहीं अंधेर पै भाई
किसी की भी, न देख पाता वो, नम नज़र
है उसको सबकी खबर
जर्रा-सी रक्खो तो सबर
है उसको सबकी खबर
फीके बेकरार पल
मीठा इंतजार फल
बिना कहे शबरी न रहा
यही हो चन्दना ने कहा
पाँव-पाँव आता वो,
अपने भक्त के घर
किसी की भी, न देख पाता वो, नम नज़र
है उसको सबकी खबर
जर्रा-सी रक्खो तो सबर
है उसको सबकी खबर
फीके बेकरार पल
मीठा इंतजार फल
न सिर्फ मेरा कहना
यही तो मीरा कहना
भले देर हो जाई,
नहीं अंधेर पै भाई
किसी की भी, न देख पाता वो, नम नज़र
है उसको सबकी खबर
जर्रा-सी रक्खो तो सबर
है उसको सबकी खबर
फीके बेकरार पल
मीठा इंतजार फल
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
=हाईकू=
तरु
अपने लिए न खर्चें निध अपनी
गुरु
Sharing is caring!