- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 943
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
आसमान नूर जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय
साथ तन, मन-वचन योग त्रय
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय ।।स्थापना।।
जैन दीक्ष चीर चीर !
भेंट क्षीर सिन्ध नीर
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
आसमान नूर जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय
साथ तन, मन-वचन योग त्रय
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय ।।जलं।।
कल अकेल आत्मकेल !
भेंट गंध मलय शैल
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
आसमान नूर जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय
साथ तन, मन-वचन योग त्रय
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय ।।चन्दनं।।
गात्र जल्ल-मल्ल मण्ड !
भेंट शाल धाँ अखण्ड
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
आसमान नूर जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय
साथ तन, मन-वचन योग त्रय
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय ।।अक्षतं।।
काल-कल दयाल द्वार !
भेंट पुष्प नन्द-क्यार
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
आसमान नूर जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय
साथ तन, मन-वचन योग त्रय
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय ।।पुष्पं।।
छाँव घनी वृक्ष भाँत !
भेंट चारु चरु परात
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
आसमान नूर जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय
साथ तन, मन-वचन योग त्रय
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय ।।नैवेद्यं।।
मोति माँ श्री मन्त सीप !
भेंट अबुझ ज्योति दीप
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
आसमान नूर जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय
साथ तन, मन-वचन योग त्रय
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय ।।दीपं।।
शिख अनन्य ज्ञान सिन्ध !
भेंट नाम-गुण सुगंध
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
आसमान नूर जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय
साथ तन, मन-वचन योग त्रय
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय ।।धूपं।।
जगत् जगत मत-मराल !
भेंट फल रसाल थाल
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
आसमान नूर जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय
साथ तन, मन-वचन योग त्रय
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय ।।फलं।।
हाथ काल-कल समाध
भेंट द्रव्य जल फलाद
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
आसमान नूर जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय
साथ तन, मन-वचन योग त्रय
जयतु जय, जयतु जय, जयतु जय
विद्या-सिन्ध-सूर जय ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
सदलगा में
चाँद
तारा जनमा
अजमेर में
जयमाला
सफर-नामा
बालक विधाघर से विद्या-सागर का
आज भारत का बच्चा-बच्चा जानता
न सिर्फ ‘जाने-रामा’
सफर-नामा
दिन शरद पूर्णमा
बालक विद्याधर जनमा
पिता मल्लप्पा सदलगा
गोद श्री मन्त माँ
दिन शरद पूर्णमा
बालक विद्याधर जनमा
सफर-नामा
बालक विधाघर से विद्या-सागर का
आज भारत का बच्चा-बच्चा जानता
न सिर्फ ‘जाने-रामा’
सफर-नामा
वर्तमाँ वर्धमाँ
सूर देशभूषण
व्रत ब्रह्मचर्य ग्रहण
साक्ष गोम्मटेश भगवन्,
नुर रहनुमा वर्धमा
सूर ज्ञान-सागर
सफर-नामा
बालक विधाघर से विद्या-सागर का
आज भारत का बच्चा-बच्चा जानता
न सिर्फ ‘जाने-रामा’
सफर-नामा
विद्याधर दीक्षा दैगम्बर
साक्ष अजमेर नगर
जय जयतु जय विद्या-सागर
सफर-नामा
बालक विधाघर से विद्या-सागर का
आज भारत का बच्चा-बच्चा जानता
न सिर्फ ‘जाने-रामा’
सफर-नामा
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
=हाईकू=
मैं गया खोता ही खोता
लगा विद्या-सिन्धु में गोता
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