- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 925
प्यार-वेवजह,
इक तुम्हीं ने तो किया है
पार-वेवजह,
इक तुम्हीं ने तो किया है
राजी-खुशी से,
न ‘कि कहने से किसी के
बल्कि अपनी खुशी से
मेरा ये अपना मन तुझ पे आ गया है
पार-वेवजह,
इक तुम्हीं ने तो किया है ।।स्थापना।।
लाया जल गागर कंचन की
ड़ोर तुमसे जुड़ चुकी क्योंकि
राजी-खुशी से,
न ‘कि कहने से किसी के
बल्कि अपनी खुशी से
मेरा ये अपना मन तुझ पे आ गया है
पार-वेवजह,
इक तुम्हीं ने तो किया है ।।जलं।।
भर लाया गगरी चन्दन की
ड़ोर तुमसे जुड़ चुकी क्योंकि
राजी-खुशी से,
न ‘कि कहने से किसी के
बल्कि अपनी खुशी से
मेरा ये अपना मन तुझ पे आ गया है
पार-वेवजह,
इक तुम्हीं ने तो किया है ।।चन्दनं।।
लाया धाँ शाली दक्षिण की
ड़ोर तुमसे जुड़ चुकी क्योंकि
राजी-खुशी से,
न ‘कि कहने से किसी के
बल्कि अपनी खुशी से
मेरा ये अपना मन तुझ पे आ गया है
पार-वेवजह,
इक तुम्हीं ने तो किया है ।।अक्षतं।।
लाया फुलवारी नन्दन की
ड़ोर तुमसे जुड़ चुकी क्योंकि
राजी-खुशी से,
न ‘कि कहने से किसी के
बल्कि अपनी खुशी से
मेरा ये अपना मन तुझ पे आ गया है
पार-वेवजह,
इक तुम्हीं ने तो किया है ।।पुष्पं।।
लाया थाली घृत व्यंजन की
ड़ोर तुमसे जुड़ चुकी क्योंकि
राजी-खुशी से,
न ‘कि कहने से किसी के
बल्कि अपनी खुशी से
मेरा ये अपना मन तुझ पे आ गया है
पार-वेवजह,
इक तुम्हीं ने तो किया है ।।नैवेद्यं।।
लाया दीपाली गऊअन घी
ड़ोर तुमसे जुड़ चुकी क्योंकि
राजी-खुशी से,
न ‘कि कहने से किसी के
बल्कि अपनी खुशी से
मेरा ये अपना मन तुझ पे आ गया है
पार-वेवजह,
इक तुम्हीं ने तो किया है ।।दीपं।।
लाया अन सुगंधी सुरगन की
ड़ोर तुमसे जुड़ चुकी क्योंकि
राजी-खुशी से,
न ‘कि कहने से किसी के
बल्कि अपनी खुशी से
मेरा ये अपना मन तुझ पे आ गया है
पार-वेवजह,
इक तुम्हीं ने तो किया है ।।धूपं।।
लाया फल ढ़ेरी अनगिनती
ड़ोर तुमसे जुड़ चुकी क्योंकि
राजी-खुशी से,
न ‘कि कहने से किसी के
बल्कि अपनी खुशी से
मेरा ये अपना मन तुझ पे आ गया है
पार-वेवजह,
इक तुम्हीं ने तो किया है ।।फलं।।
द्रव्य लाया सब, कुछ न बाकी
ड़ोर तुमसे जुड़ चुकी क्योंकि
राजी-खुशी से,
न ‘कि कहने से किसी के
बल्कि अपनी खुशी से
मेरा ये अपना मन तुझ पे आ गया है
पार-वेवजह,
इक तुम्हीं ने तो किया है ।।अर्घ्यं।।
हाईकू
गुरु माँ पंछी सा
‘पर’ नीचे धर
दें भगा डर
जयमाला
मेरा ये मन तुम्हें चाहता भी है,
और छुपाता भी है
हर क्षण नाम तेरा लिखता भी है,
और मिटाता है
जाने इसे क्या हुआ है
तुम्हीं दो बता
अंतर्यामी हो तुम
तुमसे क्या छुपा है
अय ! मेरे भगवन्
मेरा मे मन,
तुम्हें चाहता भी है,
और छुपाता भी है
हर क्षण नाम तेरा लिखता भी है,
और मिटाता है
लगता है, लगा बैठा तुमसे,
अपनी लगन
जिस किसी के लिये,
कौन भिंजोता नयन
लगता है, लगा बैठा तुमसे,
अपनी लगन
मेरा ये मन तुम्हें चाहता भी है,
और छुपाता भी है
हर क्षण नाम तेरा लिखता भी है,
और मिटाता है
जाने इसे क्या हुआ है
तुम्हीं दो बता
अंतर्यामी हो तुम
तुमसे क्या छुपा है
अय ! मेरे भगवन्
मेरा मे मन,
लगता है, बना बैठा तुम्हें,
अपना सुपन
जिस किसी के आगे
कौन करता समर्पण
लगता है, बना बैठा तुम्हें,
अपना सुपन
लगता है, लगा बैठा तुमसे,
अपनी लगन
मेरा ये मन तुम्हें चाहता भी है,
और छुपाता भी है
हर क्षण नाम तेरा लिखता भी है,
और मिटाता है
जाने इसे क्या हुआ है
तुम्हीं दो बता
अंतर्यामी हो तुम
तुमसे क्या छुपा है
अय ! मेरे भगवन्
मेरा मे मन,
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
हाईकू
सिर्फ तुझसे मतलब है
तुही मेरा रब है
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