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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 911

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 911

उनके यहाँ न जाओ
कब कहते हम.
इनके यहाँ न जाओ
बस कहते हम
मेरे यहाँ भी
‘जि गुरु जी,
कभी, मेरे यहाँ भी, आ जाओ

कब कहते हम.
उनके यहाँ न जाओ
इनके यहाँ न जाओ
बस कहते हम
‘जि गुरु जी,
कभी, मेरे यहाँ भी, आ जाओ ।।स्थापना।।

चले आते हैं,
रोज हम तिरे द्वारे
हाथ धार कंचन
साथ श्रद्धा सुमन
चले आते हैं, रोज हम तिरे द्वारे
‘के कभी तो आओगे तुम मिरे द्वारे ।।जलं।।

चले आते हैं,
रोज हम तिरे द्वारे
हाथ न्यार चन्दन
साथ श्रद्धा सुमन
चले आते हैं, रोज हम तिरे द्वारे
‘के कभी तो आओगे तुम मिरे द्वारे ।।चन्दनं।।

चले आते हैं,
रोज हम तिरे द्वारे
हाथ थाँ शाल कण
साथ श्रद्धा सुमन
चले आते हैं, रोज हम तिरे द्वारे
‘के कभी तो आओगे तुम मिरे द्वारे ।।अक्षतं।।

चले आते हैं,
रोज हम तिरे द्वारे
हाथ पुष्प नन्दन
साथ श्रद्धा सुमन
चले आते हैं, रोज हम तिरे द्वारे
‘के कभी तो आओगे तुम मिरे द्वारे ।।पुष्पं।।

चले आते हैं,
रोज हम तिरे द्वारे
हाथ चारु व्यंजन
साथ श्रद्धा सुमन
चले आते हैं, रोज हम तिरे द्वारे
‘के कभी तो आओगे तुम मिरे द्वारे ।।नैवेद्यं।।

चले आते हैं,
रोज हम तिरे द्वारे
हाथ दीपिका मण
साथ श्रद्धा सुमन
चले आते हैं, रोज हम तिरे द्वारे
‘के कभी तो आओगे तुम मिरे द्वारे ।।दीपं।।

चले आते हैं,
रोज हम तिरे द्वारे
हाथ सुगंध धन !
साथ श्रद्धा सुमन
चले आते हैं, रोज हम तिरे द्वारे
‘के कभी तो आओगे तुम मिरे द्वारे ।।धूपं।।

चले आते हैं,
रोज हम तिरे द्वारे
हाथ फल नन्द वन
साथ श्रद्धा सुमन
चले आते हैं, रोज हम तिरे द्वारे
‘के कभी तो आओगे तुम मिरे द्वारे ।।फलं।।

चले आते हैं,
रोज हम तिरे द्वारे
हाथ वस द्रव्य अन
साथ श्रद्धा सुमन
चले आते हैं, रोज हम तिरे द्वारे
‘के कभी तो आओगे तुम मिरे द्वारे ।।अर्घ्यं।।

हाईकू
आने मचले,
आपके अपनों में मेरा मन ये

जयमाला
देखने तुझे आता है भाग-भाग
चाँद देख के तुझे हो जाता है बाग-बाग

तू बड़ा लाजवाब है
सामने तेरे फीका गुलाब है

तू जो मुस्कुराता है
तो फूलों को सिखाता है
‘के हैं कैसे मुस्कुराना
चित् औरों का है कैसे चुराना

तेरे करीब रहमत बेहिसाब है
तू बड़ा लाजवाब है
सामने तेरे फीका गुलाब है

चाँद देख के तुझे हो जाता है बाग-बाग
देखने तुझे आता है भाग-भाग
चाँद देख के तुझे हो जाता है बाग-बाग

ज्यों नजर उठाता है
तो चिरागों को सिखाता है

‘के केसै अंधेरा मिटाना
और हित कैसे मिटते जाना
अय ! अनबुझ दीव
तेरे करीब रहमत बेहिसाब है
तू बड़ा लाजवाब है
सामने तेरे फीका गुलाब है

चाँद देख के तुझे हो जाता है बाग-बाग
देखने तुझे आता है भाग-भाग
चाँद देख के तुझे हो जाता है बाग-बाग

तू बड़ा लाजवाब है
सामने तेरे फीका गुलाब है

तू जो मुस्कुराता है
तो फूलों को सिखाता है
‘के हैं कैसे मुस्कुराना
चित् औरों का है कैसे चुराना

तेरे करीब रहमत बेहिसाब है
तू बड़ा लाजवाब है
सामने तेरे फीका गुलाब है

चाँद देख के तुझे हो जाता है बाग-बाग
देखने तुझे आता है भाग-भाग
चाँद देख के तुझे हो जाता है बाग-बाग
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

हाईकू
यूँ पाँसे फेंक ए ! वक्त,
‘कि लें बना गुरु जी भक्त

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