- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 910
काजल आँखों का, बह चला
कह चला,
अब न होता इन्तजार
दर्शन आ करके, दे जाओ ना एक बार
‘जि गुरु जी ओ !
अपनी इस चन्दना की
‘कि सुन भी लो पुकार
दर्शन आ करके, दे जाओ ना एक बार
काजल आँखों का, बह चला
कह चला,
अब न होता इन्तजार
दर्शन आ करके, दे जाओ ना एक बार
।।स्थापना।।
पूछ रही हैं,
‘के कब आओगे घर हमार
ये गंगा जल-धार
काजल आँखों का, बह चला
कह चला,
अब न होता इन्तजार
दर्शन आ करके, दे जाओ ना एक बार
।।जलं।।
पूछ रही हैं,
‘के कब आओगे घर हमार
ये रज मलयज झार
काजल आँखों का, बह चला
कह चला,
अब न होता इन्तजार
दर्शन आ करके, दे जाओ ना एक बार
।।चन्दनं।।
पूछ रही हैं,
‘के कब आओगे घर हमार
ये सुरभित धाँ-शाल
काजल आँखों का, बह चला
कह चला,
अब न होता इन्तजार
दर्शन आ करके, दे जाओ ना एक बार
।।अक्षतं।।
पूछ रही हैं,
‘के कब आओगे घर हमार
ये नन्दन फुलवार
काजल आँखों का, बह चला
कह चला,
अब न होता इन्तजार
दर्शन आ करके, दे जाओ ना एक बार
।।पुष्पं।।
पूछ रही हैं,
‘के कब आओगे घर हमार
ये घृत चरु मनहार
काजल आँखों का, बह चला
कह चला,
अब न होता इन्तजार
दर्शन आ करके, दे जाओ ना एक बार
।।नैवेद्यं।।
पूछ रही हैं,
‘के कब आओगे घर हमार
ये घृत दीवा-माल
काजल आँखों का, बह चला
कह चला,
अब न होता इन्तजार
दर्शन आ करके, दे जाओ ना एक बार
।।दीपं।।
पूछ रही हैं,
‘के कब आओगे घर हमार
ये सुगंध जग-न्यार
काजल आँखों का, बह चला
कह चला,
अब न होता इन्तजार
दर्शन आ करके, दे जाओ ना एक बार
।।धूपं।।
पूछ रही हैं,
‘के कब आओगे घर हमार
ये ऋत-ऋत फल डाल
काजल आँखों का, बह चला
कह चला,
अब न होता इन्तजार
दर्शन आ करके, दे जाओ ना एक बार
।।फलं।।
पूछ रही हैं,
‘के कब आओगे घर हमार
ये गुल-तण्डुल थाल
काजल आँखों का, बह चला
कह चला,
अब न होता इन्तजार
दर्शन आ करके, दे जाओ ना एक बार
।।अर्घ्यं।।
हाईकू
ली तुमनें न खबर,
है होने को एक उमर
जयमाला
डूबी-डूबी
मेरी पन-डुबी डूबी-डूबी
बिन तेरे
अय ! भगवन् मेरे
उठा भी दो इक नज़र
बन चालो हमसफर
घने अंधेरे
बिन तेरे
अय ! भगवन् मेरे
डूबी-डूबी
मेरी पन-डुबी डूबी-डूबी
बिन तेरे
अय ! भगवन् मेरे
तुम्हारे सिवाय कोई,
मेरा है भी तो नहीं
कोई इस उस जहां दोई
जो रोशनी, इक तुम्हीं
उठा भी दो इक नज़र
बन चालो हमसफर
घने अंधेरे
बिन तेरे
अय ! भगवन् मेरे
डूबी-डूबी
मेरी पन-डुबी डूबी-डूबी
बिन तेरे
अय ! भगवन् मेरे
उठा भी दो इक नज़र
बन चालो हमसफर
घने अंधेरे
बिन तेरे
अय ! भगवन् मेरे
डूबी-डूबी
मेरी पन-डुबी डूबी-डूबी
बिन तेरे
अय ! भगवन् मेरे
तुम्हीं आशा की किरण हो
कलि भगवत् अवतरण हो
हो पहले विश्वास तुम,
तुम्हीं अंतिम शरण हो
तुम्हारे सिवाय कोई,
मेरा है भी तो नहीं
कोई इस उस जहां दोई
जो रोशनी, इक तुम्हीं
उठा भी दो इक नज़र
बन चालो हमसफर
घने अंधेरे
बिन तेरे
अय ! भगवन् मेरे
डूबी-डूबी
मेरी पन-डुबी डूबी-डूबी
बिन तेरे
अय ! भगवन् मेरे
उठा भी दो इक नज़र
बन चालो हमसफर
घने अंधेरे
बिन तेरे
अय ! भगवन् मेरे
डूबी-डूबी
मेरी पन-डुबी डूबी-डूबी
बिन तेरे
अय ! भगवन् मेरे
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
हाईकू
पास पाँव जो जगह,
दे दो गुरु जी मुझे वह
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