- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 907
खुशनुमा इक जिन्दगी दे दो ।
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो ।।
औरों के लिये हरदम,
नैन अपने जो रखता नम
वो आसमाँ,
उसे ये सारी की सारी जमीं दे दो ।।स्थापना।।
हरष-हरष
भेंटूँ जल कलश
रख ख्वाहिश
बस गुजारिश
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो
खुशनुमा इक जिन्दगी दे दो ।
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो ।।
औरों के लिये हरदम,
नैन अपने जो रखता नम
वो आसमाँ,
उसे ये सारी की सारी जमीं दे दो ।।जलं।।
हरष-हरष
भेंटूँ मलय जश
रख ख्वाहिश
बस गुजारिश
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो
खुशनुमा इक जिन्दगी दे दो ।
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो ।।
औरों के लिये हरदम,
नैन अपने जो रखता नम
वो आसमाँ,
उसे ये सारी की सारी जमीं दे दो ।।चन्दनं।।
हरष-हरष
भेंटूँ धाँ-‘दरश’
रख ख्वाहिश
बस गुजारिश
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो
खुशनुमा इक जिन्दगी दे दो ।
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो ।।
औरों के लिये हरदम,
नैन अपने जो रखता नम
वो आसमाँ,
उसे ये सारी की सारी जमीं दे दो ।।अक्षतं।।
हरष-हरष
भेंटूँ गुल सरस
रख ख्वाहिश
बस गुजारिश
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो
खुशनुमा इक जिन्दगी दे दो ।
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो ।।
औरों के लिये हरदम,
नैन अपने जो रखता नम
वो आसमाँ,
उसे ये सारी की सारी जमीं दे दो ।।पुष्पं।।
हरष-हरष
भिंटाऊँ सभी रस
रख ख्वाहिश
बस गुजारिश
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो
खुशनुमा इक जिन्दगी दे दो ।
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो ।।
औरों के लिये हरदम,
नैन अपने जो रखता नम
वो आसमाँ,
उसे ये सारी की सारी जमीं दे दो ।।नैवेद्यं।।
हरष-हरष
भेंटूँ लौं गोरस
रख ख्वाहिश
बस गुजारिश
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो
खुशनुमा इक जिन्दगी दे दो ।
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो ।।
औरों के लिये हरदम,
नैन अपने जो रखता नम
वो आसमाँ,
उसे ये सारी की सारी जमीं दे दो ।।दीपं।।
हरष-हरष
भेंटूँ गंध दश
रख ख्वाहिश
बस गुजारिश
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो
खुशनुमा इक जिन्दगी दे दो ।
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो ।।
औरों के लिये हरदम,
नैन अपने जो रखता नम
वो आसमाँ,
उसे ये सारी की सारी जमीं दे दो ।।धूपं।।
हरष-हरष
भेंटूँ फल सरस
रख ख्वाहिश
बस गुजारिश
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो
खुशनुमा इक जिन्दगी दे दो ।
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो ।।
औरों के लिये हरदम,
नैन अपने जो रखता नम
वो आसमाँ,
उसे ये सारी की सारी जमीं दे दो ।।फलं।।
हरष-हरष
भेंटूँ द्रव्य वस
रख ख्वाहिश
बस गुजारिश
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो
खुशनुमा इक जिन्दगी दे दो ।
रहनुमा उसे हर-खुशी दे दो ।।
औरों के लिये हरदम,
नैन अपने जो रखता नम
वो आसमाँ,
उसे ये सारी की सारी जमीं दे दो ।।अर्घ्यं।।
हाईकू
चाँद-सितारे फीके,
सच में,
आप आप सारीखे
जयमाला
हेत पुण्य-अक्षत नाता ।
आओ गाये गुरु गाथा ।।
जहां धूप, गुरु तरु-छाया ।
जो गुरु चरणों में आया ।।
झोली पड़ी न फैलानी,
उसने मनचाहा पाया ।।
आओ गाये गुरु गाथा ।
हेत पुण्य-अक्षत नाता ।
आओ गाये गुरु गाथा ।।
उठा नजर गुरु क्या लेते ।
हटा नजर काली देते ।।
मन चालें त्योहार सभी,
राखी-दीवाली जेते ।।
आओ गाये गुरु गाथा ।
हेत पुण्य-अक्षत नाता ।
आओ गाये गुरु गाथा ।।
दे मुस्कान एक न्यारी ।
गुरु हर लें पीड़ा सारी ।।
गाते वेद-पुराण सभी,
गुरु महिमा अतिशयकारी ।।
आओ गाये गुरु गाथा ।
हेत पुण्य-अक्षत नाता ।
आओ गाये गुरु गाथा ।।
जहां धूप, गुरु तरु-छाया ।
जो गुरु चरणों में आया ।।
झोली पड़ी न फैलानी,
उसने मनचाहा पाया ।।
आओ गाये गुरु गाथा ।
हेत पुण्य-अक्षत नाता ।
आओ गाये गुरु गाथा ।।
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
हाईकू
अपरम्पार,
‘महि-मा’
गुरु देते बोझा उतार
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