- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 900
=हाईकू=
अंधेरे इस जीवन को
तुमने रोशन किया ।
पड़गाहन दिया,
आकर, मेरे घर, शुक्रिया ।।
बनाये आगे भी, रखना यूँ ही,
‘जि गुरु जी कृपा ।
देते रहना मुआफी
हूँ मैं नादाँ, न होना खफ़ा ।।स्थापना।।
चरण शरण आये
जल कंचन लाये
बनाये आगे भी, रखना यूँ ही,
‘जि गुरु जी कृपा ।
देते रहना मुआफी
हूँ मैं नादाँ, न होना खफ़ा ।।जलं।।
चरण शरण आये
घिस चन्दन ताये
बनाये आगे भी, रखना यूँ ही,
‘जि गुरु जी कृपा ।
देते रहना मुआफी
हूँ मैं नादाँ, न होना खफ़ा ।।चन्दनं।।
चरण शरण आये
अक्षत कण लाये
बनाये आगे भी, रखना यूँ ही,
‘जि गुरु जी कृपा ।
देते रहना मुआफी
हूँ मैं नादाँ, न होना खफ़ा ।।अक्षतं।।
चरण शरण आये
दिव्य सुमन लाये
बनाये आगे भी, रखना यूँ ही,
‘जि गुरु जी कृपा ।
देते रहना मुआफी
हूँ मैं नादाँ, न होना खफ़ा ।।पुष्पं।।
चरण शरण आये
घृत व्यंजन लाये
बनाये आगे भी, रखना यूँ ही,
‘जि गुरु जी कृपा ।
देते रहना मुआफी
हूँ मैं नादाँ, न होना खफ़ा ।।नैवेद्यं।।
चरण शरण आये
दीप रतन लाये
बनाये आगे भी, रखना यूँ ही,
‘जि गुरु जी कृपा ।
देते रहना मुआफी
हूँ मैं नादाँ, न होना खफ़ा ।।दीपं।।
चरण शरण आये
सुगंध अन लाये
बनाये आगे भी, रखना यूँ ही,
‘जि गुरु जी कृपा ।
देते रहना मुआफी
हूँ मैं नादाँ, न होना खफ़ा ।।धूपं।।
चरण शरण आये
फल नन्दन लाये
बनाये आगे भी, रखना यूँ ही,
‘जि गुरु जी कृपा ।
देते रहना मुआफी
हूँ मैं नादाँ, न होना खफ़ा ।।फलं।।
चरण शरण आये
द्रव मिश्रण लाये
बनाये आगे भी, रखना यूँ ही,
‘जि गुरु जी कृपा ।
देते रहना मुआफी
हूँ मैं नादाँ, न होना खफ़ा ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
हुये धन्य पा आप दरश,
दृग् थे गये तरस
जयमाला
पा वसन्त कोयल गाती है
मुझे याद तुम्हारी आती है
मिसरी घुली बोली तुम्हारी
वो हँसी रंगोली तुम्हारी
रह रह के आँख भर लाती है
मुझे याद तुम्हारी आती है
दया करुणा बहना आँखों से
बहुत कुछ कहना आँखों से
वो तुम्हारा, सिर हमारा
‘के सहलाना अपने हाथों से
वो तुम्हारा, बहुत कुछ कहना आँखों से
पाती सीप बिन्दु स्वाती है
मुझे याद तुम्हारी आती है
पा वसन्त कोयल गाती है
मुझे याद तुम्हारी आती है
मिसरी घुली बोली तुम्हारी
वो हँसी रंगोली तुम्हारी
रह रह के आँख भर लाती है
मुझे याद तुम्हारी आती है
‘मैं हूँ ना’ कहना बार बार
धकाऊँगा बनके मैं पाछी बयार
वो तुम्हारा, पोंछते हुये आँसू मेरे
कर लेना आँचल अपना छार-छार
वो तुम्हारा, ‘मैं हूँ ना’ कहना बार बार
गाती जब माँ प्रभाती है
मुझे याद तुम्हारी आती है
पा वसन्त कोयल गाती है
मुझे याद तुम्हारी आती है
मिसरी घुली बोली तुम्हारी
वो हँसी रंगोली तुम्हारी
रह रह के आँख भर लाती है
मुझे याद तुम्हारी आती है
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
रस्ते नज़र,
उतरे जिगर
दृग् नम !
ओ ! तुम
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