- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 888
=हाईकू=
पड़गाहन के समय,
करूँगा मैं इन्तजार ।
पूरा भरोसा है मुझको,
आयेगा तू मेरे द्वार ।।
क्यों, क्योंकि भक्तों के वश में,
रहते हैं भगवान ।
बिना तेरे, है और कौन मेरा,
जो रक्खेगा ध्यान।।स्थापना।।
भेंटूँ जल गंगा तुझे,
अय ! मेरे बागवां
दूर वो आसमाँ
अबकि दो छुवा मुझे ।।जलं।।
भेंटूँ घट गंधा तुझे,
अय ! मेरे बागवां
दूर वो आसमाँ
अबकि दो छुवा मुझे ।।चन्दनं।।
भेंटूँ अक्षत धाँ तुझे,
अय ! मेरे बागवां
दूर वो आसमाँ
अबकि दो छुवा मुझे ।।अक्षतं।।
भेंटूँ निश्-गंधा तुझे,
अय ! मेरे बागवां
दूर वो आसमाँ
अबकि दो छुवा मुझे ।।पुष्पं।।
भेंटूँ घृत पकवां तुझे,
अय ! मेरे बागवां
दूर वो आसमाँ
अबकि दो छुवा मुझे ।।नैवेद्यं।।
भेंटूँ घृत दीवा तुझे,
अय ! मेरे बागवां
दूर वो आसमाँ
अबकि दो छुवा मुझे ।।दीपं।।
भेंटूँ अन गंधा तुझे,
अय ! मेरे बागवां
दूर वो आसमाँ
अबकि दो छुवा मुझे ।।धूपं।।
भेंटूँ फल विरछा तुझे,
अय ! मेरे बागवां
दूर वो आसमाँ
अबकि दो छुवा मुझे ।।फलं।।
भेंटूँ विध वसु’धा तुझे
अय ! मेरे बागवां
दूर वो आसमाँ
अबकि दो छुवा मुझे ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
समझ पीड़ा जाते,
‘बच्चों की’
गुरु जी
माँ ही दूजी
जयमाला
जब मैं कुछ ज्यादा ही, बेचैन हो जाता हूँ
आस-पास तेरे
अय ! खासम-खाम मेरे
तब में, आसपास तेरे, चला आता हूँ
तेरे इन पाँवों में,
घनी बरगदी छाँवों में
और बैठ तेरी पाँव छाँव में,
जो आँसू झिराता हूँ
तो हलका हो जाता हूँ
अय ! खासम-खाम मेरे
जब मैं कुछ ज्यादा ही, बेचैन हो जाता हूँ
आस-पास तेरे
अय ! खासम-खाम मेरे
तब में, आसपास तेरे, चला आता हूँ
और बैठ तेरे सामने
देख खुद को आप आईने,
जो कालिख मिटाता हूँ
हो रास्ता पा जाता हूँ
अय ! खासम-खाम मेरे
जब मैं कुछ ज्यादा ही, बेचैन हो जाता हूँ
आस-पास तेरे
अय ! खासम-खाम मेरे
तब में, आसपास तेरे, चला आता हूँ
तेरे इन पाँवों में,
घनी बरगदी छाँवों में
और बैठ तेरी पाँव छाँव में,
जो आँसू झिराता हूँ
तो हलका हो जाता हूँ
अय ! खासम-खाम मेरे
जब मैं कुछ ज्यादा ही, बेचैन हो जाता हूँ
आस-पास तेरे
अय ! खासम-खाम मेरे
तब में, आसपास तेरे, चला आता हूँ
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
बीच बच्चों के घुल मिल जाते
‘माँ गुरु’ बताते
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