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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 887

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 887

दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो
‘के आप-भक्ति रँग रंग
थम चले मन तरंग
सदलगा बसन्त सन्त ओ !
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो ।।स्थापना।।

भेंट कलश नीर गंग
थम चले ‘के मन तरंग
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो
‘के आप-भक्ति रँग रंग
थम चले मन तरंग
सदलगा बसन्त सन्त ओ !
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो ।।जलं।।

भेंट गंध शब्दभृग
थम चले ‘के मन तरंग
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो
‘के आप-भक्ति रँग रंग
थम चले मन तरंग
सदलगा बसन्त सन्त ओ !
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो ।।चन्दनं।।

भेंट शालि धाँ अभंग
थम चले ‘के मन तरंग
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो
‘के आप-भक्ति रँग रंग
थम चले मन तरंग
सदलगा बसन्त सन्त ओ !
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो ।।अक्षतं।।

भेंट गुल विवर्ण रंग
थम चले ‘के मन तरंग
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो
‘के आप-भक्ति रँग रंग
थम चले मन तरंग
सदलगा बसन्त सन्त ओ !
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो ।।पुष्पं।।

भेंट भोग विविध भंग
थम चले ‘के मन तरंग
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो
‘के आप-भक्ति रँग रंग
थम चले मन तरंग
सदलगा बसन्त सन्त ओ !
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो ।।नैवेद्यं।।

भेंट ज्योत निस्तरंग
थम चले ‘के मन तरंग
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो
‘के आप-भक्ति रँग रंग
थम चले मन तरंग
सदलगा बसन्त सन्त ओ !
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो ।।दीपं।।

भेंट धूप अन्त-रंग
थम चले ‘के मन तरंग
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो
‘के आप-भक्ति रँग रंग
थम चले मन तरंग
सदलगा बसन्त सन्त ओ !
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो ।।धूपं।।

भेंट सरस फल ‘नरंग’
थम चले ‘के मन तरंग
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो
‘के आप-भक्ति रँग रंग
थम चले मन तरंग
सदलगा बसन्त सन्त ओ !
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो ।।फलं।।

भेंट द्रव्य सकल संग
थम चले ‘के मन तरंग
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो
‘के आप-भक्ति रँग रंग
थम चले मन तरंग
सदलगा बसन्त सन्त ओ !
दे बता, कोई ऐसा मन्त्र दो ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
पाया घूम में,
सात ही…
‘भू’
आठवीं
दो घुमा हमें

जयमाला
ढ़ेर सारा दे आशीर्वाद दो
गुरु जी सुन, मेरी फरियाद लो

कर मुझसे, इक मुलाकात लो
गुरु जी सुन, मेरी फरियाद लो
ढ़ेर सारा दे आशीर्वाद दो
गुरु जी सुन, मेरी फरियाद लो

कर मुझसे, बैठ के दो बात हो
गुरु जी सुन, मेरी फरियाद लो
ढ़ेर सारा दे आशीर्वाद दो
गुरु जी सुन, मेरी फरियाद लो

सिर-मेरे, रख अपने हाथ दो
गुरु जी सुन, मेरी फरियाद लो
ढ़ेर सारा दे आशीर्वाद दो
गुरु जी सुन, मेरी फरियाद लो

खूब, दे मुस्काने सौगात दो
गुरु जी सुन, मेरी फरियाद लो
ढ़ेर सारा दे आशीर्वाद दो
गुरु जी सुन, मेरी फरियाद लो

तलक उस पार, दे अपना साथ दो
गुरु जी सुन, मेरी फरियाद लो
ढ़ेर सारा दे आशीर्वाद दो
गुरु जी सुन, मेरी फरियाद लो
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
बनाया
शब्द
‘गुरु’
तुमनें…
मैं भी आया जुड़ने

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