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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 853

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 853

=हाईकू=
कोई सपनों में आता है मेरे,
तो सिर्फ तुम हो ।
कोई अपनों में आता है मेरे,
तो सिर्फ तुम हो ।।
बनके आती जाती श्वास,
तू रहे जो आस-पास ।
तेरा ही मुझे विश्वास,
करूँ और किसकी आश ।।स्थापना।।

रख चाह सिर्फ गन्धोदक
तुम्हें भेंटूँ मैं गंग-उदक
तेरा ही मुझे विश्वास,
करूँ और किसकी आश
बनके आती जाती श्वास,
तू रहे जो आस-पास ।।जलं।।

रख चाह अभिषेक चरण
तुम्हें भेंटूँ मैं, घट चन्दन
तेरा ही मुझे विश्वास,
करूँ और किसकी आश
बनके आती जाती श्वास,
तू रहे जो आस-पास ।।चन्दनं।।

रख चाह बस भक्ति नवधा
तुम्हें भेंटूँ मैं, शालिक धाँ
तेरा ही मुझे विश्वास,
करूँ और किसकी आश
बनके आती जाती श्वास,
तू रहे जो आस-पास ।।अक्षतं।।

रख चाहा चरणा-सिंचन
तुम्हें भेंटूँ मैं, गुल नन्दन
तेरा ही मुझे विश्वास,
करूँ और किसकी आश
बनके आती जाती श्वास,
तू रहे जो आस-पास ।।पुष्पं।।

रख चाह अभिसेचन पद
तुम्हें भेंटूँ मैं, व्यंजन घृत
तेरा ही मुझे विश्वास,
करूँ और किसकी आश
बनके आती जाती श्वास,
तू रहे जो आस-पास ।।नैवेद्यं।।

रख चाह सुख अपूर्व कुछ
तुम्हें भेंटूँ मैं, दीप अबुझ
तेरा ही मुझे विश्वास,
करूँ और किसकी आश
बनके आती जाती श्वास,
तू रहे जो आस-पास ।।दीपं।।

रख चाह द्वार पड़गाहन
तुम्हें भेंटूँ मैं, सुगंध अन
तेरा ही मुझे विश्वास,
करूँ और किसकी आश
बनके आती जाती श्वास,
तू रहे जो आस-पास ।।धूपं।।

रख चाह आहार पल
तुम्हें भेंटूँ मैं, पिटार फल
तेरा ही मुझे विश्वास,
करूँ और किसकी आश
बनके आती जाती श्वास,
तू रहे जो आस-पास ।।फलं।।

रख चाह पर गाहन द्वारे
तुम्हें भेंटूँ मै, द्रव्य सारे
तेरा ही मुझे विश्वास,
करूँ और किसकी आश
बनके आती जाती श्वास,
तू रहे जो आस-पास ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
सीधे व सच्चे
होते गुरु जी
अभी के जन्में बच्चे

जयमाला
गुरु जी का चलना,
वाह-वाह, वाह खूब है
तभी, रास्ते-नेकी,
छा-पाई न दूब है

गुरु जी जो चल रहे है आगे
तभी तो न चुभ रहे है काँटे
गुरु जी के संग, इक अलग ही अहसासे डूब है
तभी, रास्ते-नेकी,
छा-पाई न दूब है

गुरु जी का चलना,
वाह-वाह, वाह खूब है
तभी, रास्ते-नेकी,
छा-पाई न दूब है

सँग-सँग ही चल रहे छोर-खीचे
गुरु जी कब निकल रहे छोड़ पीछे
गुरु जी के संग, इक अलग ही अहसासे डूब है
तभी, रास्ते-नेकी,
छा-पाई न दूब है

गुरु जी का चलना,
वाह-वाह, वाह खूब है
तभी, रास्ते-नेकी,
छा-पाई न दूब है

न सिर्फ हाथ में, ‘दिया’ कर दिया
हमारे साथ में गुरु जी ने चल दिया
गुरु जी के संग, इक अलग ही अहसासे डूब है
तभी, रास्ते-नेकी,
छा-पाई न दूब है

गुरु जी का चलना,
वाह-वाह, वाह खूब है
तभी, रास्ते-नेकी, 
छा-पाई न दूब है
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
गुरु जी ऐसी न करते रँगाई,
‘के धुल जाई

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