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आचार्य श्री पूजन

गुरु-पाद पूजन – 835

By मुनि श्री निराकुल सागर जी महाराज 
  • परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित

पूजन क्रंमाक 835

झूमूँ मैं होके मगन
आया छूने में गगन
पाके तुम्हारी शरण
मेरे आराध्य गुरु नमन
आराध्य गुरु नमन
मेरे आराध्य गुरु नमन ।।स्थापना।।

फूला नहीं समाऊँ मैं
गागर नीर चढ़ाऊँ मैं
पाके तुम्हें अपने आँगन
झूमूँ मैं होके मगन
आया छूने में गगन
पाके तुम्हारी शरण
मेरे आराध्य गुरु नमन
आराध्य गुरु नमन
मेरे आराध्य गुरु नमन ।।जलं।।

फूला नहीं समाऊँ मैं
चन्दन घड़े भिंटाऊँ मैं
पाके तुम्हें अपने आँगन
झूमूँ मैं होके मगन
आया छूने में गगन
पाके तुम्हारी शरण
मेरे आराध्य गुरु नमन
आराध्य गुरु नमन
मेरे आराध्य गुरु नमन ।।चन्दनं।।

फूला नहीं समाऊँ मैं
अक्षत शालि चढ़ाऊँ मैं
पाके तुम्हें अपने आँगन
झूमूँ मैं होके मगन
आया छूने में गगन
पाके तुम्हारी शरण
मेरे आराध्य गुरु नमन
आराध्य गुरु नमन
मेरे आराध्य गुरु नमन ।।अक्षतं।।

फूला नहीं समाऊँ मैं
नन्दन पुष्प चढ़ाऊँ मैं
पाके तुम्हें अपने आँगन
झूमूँ मैं होके मगन
आया छूने में गगन
पाके तुम्हारी शरण
मेरे आराध्य गुरु नमन
आराध्य गुरु नमन
मेरे आराध्य गुरु नमन ।।पुष्पं।।

फूला नहीं समाऊँ मैं
व्यञ्जन दिव्य चढ़ाऊँ मैं
पाके तुम्हें अपने आँगन
झूमूँ मैं होके मगन
आया छूने में गगन
पाके तुम्हारी शरण
मेरे आराध्य गुरु नमन
आराध्य गुरु नमन
मेरे आराध्य गुरु नमन ।।नैवेद्यं।।

फूला नहीं समाऊँ मैं
अनबुझ ज्योत जगाऊँ मैं
पाके तुम्हें अपने आँगन
झूमूँ मैं होके मगन
आया छूने में गगन
पाके तुम्हारी शरण
मेरे आराध्य गुरु नमन
आराध्य गुरु नमन
मेरे आराध्य गुरु नमन ।।दीपं।।

फूला नहीं समाऊँ मैं
अनुपम धूप चढ़ाऊँ मैं
पाके तुम्हें अपने आँगन
झूमूँ मैं होके मगन
आया छूने में गगन
पाके तुम्हारी शरण
मेरे आराध्य गुरु नमन
आराध्य गुरु नमन
मेरे आराध्य गुरु नमन ।।धूपं।।

फूला नहीं समाऊँ मैं
फल वन-नन्द चढ़ाऊँ मैं
पाके तुम्हें अपने आँगन
झूमूँ मैं होके मगन
आया छूने में गगन
पाके तुम्हारी शरण
मेरे आराध्य गुरु नमन
आराध्य गुरु नमन
मेरे आराध्य गुरु नमन ।।फलं।।

फूला नहीं समाऊँ मैं
वसु-विध अर्घ्य भिंटाऊँ मैं
पाके तुम्हें अपने आँगन
झूमूँ मैं होके मगन
आया छूने में गगन
पाके तुम्हारी शरण
मेरे आराध्य गुरु नमन
आराध्य गुरु नमन
मेरे आराध्य गुरु नमन ।।अर्घ्यं।।

=हाईकू=
गुरु चरण,
घर को बढ़े
बढ़ी ‘कि धड़कन

जयमाला
अय ! मेरे रब
मुझे अब
किसी और से क्या मतलब
देते जो बना तुम्हीं काम मेरे सब
अय ! मेरे रब
मुझे अब
किसी और से क्या मतलब

मुहूरत से अब,
है न पड़ता काम मेरा
पड़ता हूँ पैर तेरे,
और बनता काम मेरा

मुझे अब
किसी और से क्या मतलब
अय ! मेरे रब
मुझे अब
किसी और से क्या मतलब
देते जो बना तुम्हीं काम मेरे सब
अय ! मेरे रब
मुझे अब
किसी और से क्या मतलब

ताबीज से अब,
है न पड़ता काम मेरा
पड़ता हूँ पैर तेरे,
और बनता काम मेरा

मुझे अब
किसी और से क्या मतलब
अय ! मेरे रब
मुझे अब
किसी और से क्या मतलब
देते जो बना तुम्हीं काम मेरे सब
अय ! मेरे रब
मुझे अब
किसी और से क्या मतलब

जादू-टोने से अब,
है न पड़ता काम मेरा
पड़ता हूँ पैर तेरे,
और बनता काम मेरा

मुझे अब
किसी और से क्या मतलब
अय ! मेरे रब
मुझे अब
किसी और से क्या मतलब
देते जो बना तुम्हीं काम मेरे सब
अय ! मेरे रब
मुझे अब
किसी और से क्या मतलब
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।

=हाईकू=
तरकीब श्री गुरु दें वो बतला,
‘कि छू हो बला

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