- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 826
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव
एक अरदास
निकले मेरी अंतिम श्वास
करते हुये तेरे चरणों की सेव
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव ।।स्थापना।।
चढ़ाऊँ प्रासुक उदक
‘कि पाऊँ गन्धोदक
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव
एक अरदास
निकले मेरी अंतिम श्वास
करते हुये तेरे चरणों की सेव
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव ।।जलं।।
चढ़ाऊँ चन्दन घोल
‘कि पाऊँ मिसरी बोल
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव
एक अरदास
निकले मेरी अंतिम श्वास
करते हुये तेरे चरणों की सेव
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव ।।चन्दन।।
चढ़ाऊँ शालिक धान
‘कि पाऊँ इक मुस्कान
यूँ ही गुरुदेव
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव
एक अरदास
निकले मेरी अंतिम श्वास
करते हुये तेरे चरणों की सेव
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव ।।अक्षतं।।
चढ़ाऊँ सुर-तरु-गुल
‘कि पाऊँ तुम गुरु-कुल
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव
एक अरदास
निकले मेरी अंतिम श्वास
करते हुये तेरे चरणों की सेव
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव ।।पुष्पं।।
चढ़ाऊँ चरु, मनहार
‘कि पाऊँ प्यार-दुलार
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव
एक अरदास
निकले मेरी अंतिम श्वास
करते हुये तेरे चरणों की सेव
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव ।।नैवेद्यं।।
जगाऊँ ज्योत अबुझ
‘कि पाऊँ कुछ ना कुछ
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव
एक अरदास
निकले मेरी अंतिम श्वास
करते हुये तेरे चरणों की सेव
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव ।।दीपं।।
चढ़ाऊँ देव अगर
‘कि पाऊँ एक नजर
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव
एक अरदास
निकले मेरी अंतिम श्वास
करते हुये तेरे चरणों की सेव
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव ।।धूपं।।
चढ़ाऊँ फल वन नन्द
‘कि पाऊँ अपूर्वानन्द
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव
एक अरदास
निकले मेरी अंतिम श्वास
करते हुये तेरे चरणों की सेव
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव ।।फलं।।
चढ़ाऊँ अर्द्य परात
‘कि पाऊँ आशीर्वाद
यूँ ही गुरुदेव
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव
एक अरदास
निकले मेरी अंतिम श्वास
करते हुये तेरे चरणों की सेव
यूँ ही गुरुदेव
कृपा बरसाये रखना सदैव ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
भूल किसी से भी हो,
आँखें गुरु जी की पड़तीं हैं रो
जयमाला
करके घनी-छाँव,
तुमनें कर दिया सावन
छू करके मेरा गाँव,
तुमनें कर दिया पावन
तरण-वैतरण !
अकरण- शरण !
अय ! मेरे भगवन्
मेरे गाँव का कण-कण,
चन्दन सा महक रहा
मेरा गाँव ले थिरकन,
चिड़ियों सा चहक रहा
तेरी भक्ति में हो के मगन
मेरा गाँव ले थिरकन,
अय ! मेरे भगवन्
करके घनी-छाँव,
तुमनें कर दिया सावन
छू करके मेरा गाँव,
तुमनें कर दिया पावन
तरण-वैतरण !
अकरण- शरण !
अय ! मेरे भगवन्
देखा जहाँ,
उडे़ वहाँ,
झीनी-झीनी सी गुलाल
झीनी-झीनी सी फुहार
मानो वासन्ती बहार
देखा जहाँ,
उडे़ वहाँ,
झीनी-झीनी सी फुहार
मेरे गाँव का कण-कण,
चन्दन सा महक रहा
मेरा गाँव ले थिरकन,
चिड़ियों सा चहक रहा
तेरी भक्ति में हो के मगन
मेरा गाँव ले थिरकन,
अय ! मेरे भगवन्
करके घनी-छाँव,
तुमनें कर दिया सावन
छू करके मेरा गाँव,
तुमनें कर दिया पावन
तरण-वैतरण !
अकरण- शरण !
अय ! मेरे भगवन्
बजे घुँघरू कहीं,
तू ही-तू ही कहे तुरही
ढ़ोल तो कहीं धमाल,
तान छेड़े कहीं मुरली
देखा जहाँ,
उडे़ वहाँ,
झीनी-झीनी सी गुलाल
झीनी-झीनी सी फुहार
मानो वासन्ती बहार
देखा जहाँ,
उडे़ वहाँ,
झीनी-झीनी सी फुहार
मेरे गाँव का कण-कण,
चन्दन सा महक रहा
मेरा गाँव ले थिरकन,
चिड़ियों सा चहक रहा
तेरी भक्ति में हो के मगन
मेरा गाँव ले थिरकन,
अय ! मेरे भगवन्
करके घनी-छाँव,
तुमनें कर दिया सावन
छू करके मेरा गाँव,
तुमनें कर दिया पावन
तरण-वैतरण !
अकरण- शरण !
अय ! मेरे भगवन्
।।जयमाला पूर्णार्घं।।
=हाईकू=
हमें गुनाहों से निकाल,
गुरु जी लो कर निहाल
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