- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 824
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन
ले पनीले नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।स्थापना।।
हेत सम्यक्-दरश
भेंट जल मण कलश
ले पनीले नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।जलं।।
हेत नम-तर हृदय
भेंट चन्दन मलय
ले पनीले नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।चन्दनं।।
हेत परणत विमल
भेंट अक्षत धवल
ले पनीले नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।अक्षतं।।
हेत वसुधा कुटुम
भेंट नन्दन कुसुम
ले पनीले नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।पुष्पं।।
हित निरंजन डगर
भेंट व्यंजन मधुर
ले पनीले नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।नैवेद्यं।।
हेतु भीतर समझ
भेंट दीपक अबुझ
ले पनीले नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।दीपं।।
हेत सुर’भी अखर
भेंट सुरभी इतर
ले पनीले नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।धूपं।।
हेत फल शिव सुरग
भेंट फल दिव विरख
ले पनीले नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।फलं।।
हे पल-पल सफल
भेंट जल फल सकल
ले पनीले नयन
साथ श्रद्धा सुमन
सिन्ध विद्या नमन
सिन्ध विद्या नमन ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
गुरु बोलते तब,
‘के खामोश हो चालते सब
जयमाला
नई न देते हो, न सही
पुरानी ही दे दो पिछी
नहीं भी देते हो, न सही
मुस्कान ही दे दो गुरु जी
सुन लो अर्जी
न और मर्जी, गुरु जी
नई न देते हो, न सही
पुरानी ही दे दो पिछी
नहीं भी देते हो, न सही
रज-पाँव ही दे दो गुरु जी
सुन लो अर्जी
न और मर्जी, गुरु जी
नई न देते हो, न सही
पुरानी ही दे दो पिछी
नहीं भी देते हो, न सही
इक नजर ही दे दो गुरु जी
सुन लो अर्जी
न और मर्जी, गुरु जी
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
गा छिन,
थका फणिन
गुरु-गुन,
गुरूर सुन
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