- परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 807
बड़े तपस्वी,
इक तेजस्वी,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
इक ओजस्वी,
निरे मनस्वी,
विद्या सागर सन्त,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
बड़े तपस्वी,
इक तेजस्वी,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
वन्दन कोटि अनन्त ।।स्थापना।।
अरहत् भावी,
सरल स्वभावी,
भेंटूँ जल पय सिन्ध,
विद्या सागर सन्त,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
बड़े तपस्वी,
इक तेजस्वी,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
वन्दन कोटि अनन्त ।।जलं।।
कषाय त्यागी,
व्रत अनुरागी,
भेंटूँ कलशा गंध,
विद्या सागर सन्त,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
बड़े तपस्वी,
इक तेजस्वी,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
वन्दन कोटि अनन्त ।।चन्दनं।।
बड़े अनोखे,
घर रत्नों के,
भेंटूँ धाँ भा वन्त,
विद्या सागर सन्त,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
बड़े तपस्वी,
इक तेजस्वी,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
वन्दन कोटि अनन्त ।।अक्षतं।।
दृग्-अविकारी,
छव मनहारी,
भेंटूँ पुष्प वसन्त,
विद्या सागर सन्त,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
बड़े तपस्वी,
इक तेजस्वी,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
वन्दन कोटि अनन्त ।।पुष्पं।।
निष्पृह शरणा,
बस गृह करुणा,
भेंटूँ चरु सानन्द,
विद्या सागर सन्त,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
बड़े तपस्वी,
इक तेजस्वी,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
वन्दन कोटि अनन्त ।।नैवेद्यं।।
परहित भींजे,
लोचन तीजे,
भेंटूँ ज्योत अमन्द,
विद्या सागर सन्त,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
बड़े तपस्वी,
इक तेजस्वी,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
वन्दन कोटि अनन्त ।।दीपं।।
समरससानी,
ओघड़ दानी,
भेंटूँ दिव्य सुगंध,
विद्या सागर सन्त,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
बड़े तपस्वी,
इक तेजस्वी,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
वन्दन कोटि अनन्त ।।धूपं।।
अपहर पीरा,
हृदय गभीरा,
भेंटूँ फल वन-नन्द,
विद्या सागर सन्त,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
बड़े तपस्वी,
इक तेजस्वी,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
वन्दन कोटि अनन्त ।।फलं।।
दया अनूठी,
क्षमा विभूति,
भेंटूँ द्रव्य समन्त,
विद्या सागर सन्त,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
बड़े तपस्वी,
इक तेजस्वी,
नन्दन माँ श्री-मन्त,
वन्दन कोटि अनन्त ।।अर्घ्यं।।
=हाईकू=
है किसका न सपना,
लें श्री गुरु-देव अपना
जयमाला
मत छोड़ जाना
मैंने छोड़ा जमाना
तेरे पीछे
मैं चलने तैयार हूँ आँखें मींचे
मैंने छोड़ा जमाना तेरे पीछे
तुम मुझे अकेला मत छोड़ जाना
मैं चलने तैयार हूँ आँखें मींचे
तेरे पीछे मैंने छोड़ा जमाना
तुम्हें कसम मेरी
‘जि गुरुजी
करके आँख नम मेरी,
तुम मुझे अकेला मत छोड़ जाना
यादों से जोड़ के,
किये वादों से मुँह मोड़ के,
बाना बेगाना ओढ़ के,
यादों से जोड़ के,
हो जान तुम मेरी,
पहचान तुम मेरी,
करके आँख नम मेरी,
तुम्हें कसम मेरी
‘जि गुरुजी
करके आँख नम मेरी,
तुम मुझे अकेला मत छोड़ जाना
।। जयमाला पूर्णार्घं ।।
=हाईकू=
भरे न मन, पा सपनों में,
रख लो अपनों में
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