परम पूज्य मुनि श्री निराकुल सागरजी द्वारा रचित
पूजन क्रंमाक 776आपसे इतना कह भी नहीं सकते,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना घना नेह जो रखते,
क्या हिचकियों ने, न दिलाई थी मेरी याद,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद ।।स्थापना।।न सिर्फ मैं, पूछे ये, जल गंग-घाट,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना कह भी नहीं सकते,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना घना नेह जो रखते,
क्या हिचकियों ने, न दिलाई थी मेरी याद,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद ।।जलं।।न सिर्फ मैं, पूछे ये, चन्दन मण पात्र,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना कह भी नहीं सकते,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना घना नेह जो रखते,
क्या हिचकियों ने, न दिलाई थी मेरी याद,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद ।।चन्दनं।।न सिर्फ मैं, पूछे ये, अक्षत विख्यात,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना कह भी नहीं सकते,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना घना नेह जो रखते,
क्या हिचकियों ने, न दिलाई थी मेरी याद,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद ।।अक्षतं।।न सिर्फ मैं, पूछे ये, पुष्प पारिजात,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना कह भी नहीं सकते,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना घना नेह जो रखते,
क्या हिचकियों ने, न दिलाई थी मेरी याद,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद ।।पुष्पं।।न सिर्फ मैं, पूछे ये, चरु चारु पांत,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना कह भी नहीं सकते,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना घना नेह जो रखते,
क्या हिचकियों ने, न दिलाई थी मेरी याद,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद ।।नैवेद्यं।।न सिर्फ मैं, पूछे ये, लौं अगम वात,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना कह भी नहीं सकते,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना घना नेह जो रखते,
क्या हिचकियों ने, न दिलाई थी मेरी याद,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद ।।दीपं।।न सिर्फ मैं, पूछे ये, सुगंध भाँत-भाँत,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना कह भी नहीं सकते,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना घना नेह जो रखते,
क्या हिचकियों ने, न दिलाई थी मेरी याद,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद ।।धूपं।।न सिर्फ मैं, पूछे ये, श्रीफल परात,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना कह भी नहीं सकते,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना घना नेह जो रखते,
क्या हिचकियों ने, न दिलाई थी मेरी याद,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद ।।फलं।।न सिर्फ मैं, पूछे ये, दिव जल फलाद,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना कह भी नहीं सकते,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद,
आपसे इतना घना नेह जो रखते,
क्या हिचकियों ने, न दिलाई थी मेरी याद,
क्यों आये हो, इतने दिनों के बाद ।।अर्घ्यं।।=हाईकू=
कर दें गुरु जी निष्फिकर,
सिर पे हाथ धरजयमाला
तब कहना ही पड़ता है
मन कहे बिन, कब रहता है
‘कि हाजिर जवाबी हैं गुरुदेव
नूरे आफताबी हैं गुरुदेव
दूजे मेहताब ही हैं गुरुदेव
‘जि हाजिर जबावी हैं गुरुदेवअय ! विद्याधर,
ले विद्या कहीं उड़ तो न जाओगे
बोले विद्याधर,
‘जि मैनें आज से, गाड़ी घोड़े छोड़े
‘जि हाजिर जबावी हैं गुरुदेवतब कहना ही पड़ता है
मन कहे बिन, कब रहता है
‘कि हाजिर जवाबी हैं गुरुदेव
नूरे आफताबी हैं गुरुदेव
दूजे मेहताब ही हैं गुरुदेव
‘जि हाजिर जबावी हैं गुरुदेवकहाँ जुबां माँ की मराठी,
और जुबां कन्नड़ के पाठी,
फिर भी लिख देना हिन्दी में,
कृति कालजयी मूकमाटी,
अद्वितिय मेधावी हैं गुरुदेव
‘जि हाजिर जबावी हैं गुरुदेवतब कहना ही पड़ता है
मन कहे बिन, कब रहता है
‘कि हाजिर जवाबी हैं गुरुदेव
नूरे आफताबी हैं गुरुदेव
दूजे मेहताब ही हैं गुरुदेव
‘जि हाजिर जबावी हैं गुरुदेवढ़ेरों चरखे हत करघे,
प्रतिमा स्थलियों के चर्चे,
और तो और गैरों को भी,
न लौटाना खाली झोली दर से
तीर्थंकर भावी हैं गुरुदेव
अद्वितिय मेधावी हैं गुरुदेव
‘जि हाजिर जबावी हैं गुरुदेवतब कहना ही पड़ता है
मन कहे बिन, कब रहता है
‘कि हाजिर जवाबी हैं गुरुदेव
नूरे आफताबी हैं गुरुदेव
दूजे मेहताब ही हैं गुरुदेव
‘जि हाजिर जबावी हैं गुरुदेव
।।जयमाला पूर्णार्घं।।=हाईकू=
न और, आप
कोई न कोई जाते हैं छोड़-छाप
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